residential-school-at-a-cost-of-rs-10-crore-to-stop-exploitation-of-begging-children
residential-school-at-a-cost-of-rs-10-crore-to-stop-exploitation-of-begging-children

भीख मांगने वाले बच्चों का शोषण रोकने के लिए 10 करोड़ रुपए की लागत से आवासीय स्कूल

नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक सड़कों पर भीख मांगने, सामान बेचने और रेड लाइट पर अपना दिन बिताने वाले बच्चों के शोषण का गंभीर खतरा है। इसको देखते हुए अब दिल्ली में सड़कों पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए फील्ड टास्क फोर्स तैनात की गई है। टास्क फोर्स सड़कों पर रहने वाले बच्चों की पहचान कर शैक्षिक, वित्तीय और अभिभावक सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इन बच्चों की देखभाल के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ऐसे बच्चों के लिए 10 करोड़ रुपये की लागत से एक आवासीय स्कूल बनाएगी। दिल्ली के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसीडी) के सहयोग से दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने सलाम बालक ट्रस्ट और यूथ रीच के सहयोग से एक योजना शुरू की है, ताकि सड़क पर मौजूद बच्चों का पुनर्वास के लिए एक फील्ड टास्क फोर्स की तैनाती की जा सके। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर हजारों बच्चे रहते हैं। जिंदा रहने के लिए गैर-औपचारिक कार्य करने के साथ भीख मांगते हैं। ये बच्चे शहर की सड़कों के असुरक्षित वातावरण में जीवित रहते हैं। यह बच्चे पर्याप्त सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल से वंचित हैं। इस योजना का उद्देश्य सड़क पर रहने वाले बच्चों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। जिससे की इन हालात का मुकाबला कर कमजोर बच्चों को जिम्मेदार नागरिकों के रूप में विकसित करने में मदद की जा सके। टास्क फोर्स सड़क पर रहने वाले बच्चों की पहचान कर शैक्षिक, वित्तीय और अभिभावक सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। दिल्ली सरकार द्वारा आवासीय विद्यालयों के जरिए सड़क पर रहने वाले बच्चों को सीखने एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की योजना को और मजबूत किया जाएगा। दिल्ली डायलॉग कमीशन यानी डीडीसी दिल्ली के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बेघर और सड़कों पर रहने वाले बच्चों की देखभाल के उद्देश्य से एक व्यापक योजना विकसित की है। इस साल के बजट में एक आवासीय स्कूल बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया है। यह स्कूल न केवल शिक्षा प्रदान करेगा बल्कि कमजोर बच्चों को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहायता भी प्रदान करेगा। इस टास्क फोर्स को शुरू करके हम इन बच्चों को शिक्षा, वित्तीय सहायता और संरक्षण सहित बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर पाएंगे। टास्क फोर्स को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा, जिसकी शुरूआत दक्षिण और दक्षिण-पूर्व जिलों से होगी। प्रोजेक्ट के फंडिंग और स्ट्रैटेजी पार्टनर यूथ रीच ने बताया कि हमें सड़कों पर रहने वाले बच्चों को राहत प्रदान करने और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुहैया करने के लिए डीसीपीसीआर के साथ डीडीसी भी इस योजना का हिस्सा है। इस टीम में केस वर्कर और काउंसलर शामिल होंगे, जिन्हें जिलेवार तैनात किया जाएगा। यह बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) के साथ मिलकर काम करेंगे। टास्क फोर्स पुनर्वास के पांच मॉडल पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसमें पहला शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण, दूसरा परामर्श और चिकित्सा सहायता, तीसरा स्पोंसर्शिप, चौथा संरक्षकता और पांचवां बच्चे के लिए आश्रय और घर शामिल है। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि सड़कों पर भीख मांगने, सामान बेचने और रेड लाइट पर अपना दिन बिताने वाले बच्चों के शोषण का एक गंभीर खतरा है। यह बच्चे स्कूलों में जाने और सोने के लिए सुरक्षित जगह पाने के हकदार हैं। इस योजना की शुरूआत के साथ आयोग सड़कों पर रहने वाले बच्चों की पहचान, रोकथाम और राहत के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, डीसीपीसीआर की 24 घंटे काम करने वाली आपातकालीन हेल्पलाइन सहित एक व्यापक तंत्र शुरू कर रहा है। इन पहल के जरिए हम ऐसे सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि सड़कों पर दिन गुजारने वाले बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमारे साथ आएं। सड़कों पर ऐसे बच्चे नजर आने पर हेल्पलाइन नंबर 9311551393 पर सूचना दें। --आईएएनएस जीसीबी/आरएचए

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in