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काव्य रूप में पढ़ें श्रीरामचरितमानस: भाग-50

लखनलाल यह देखकर, हुए बहुत ही क्रुद्ध प्रभु से आज्ञा ले चले, वे भी करने युद्ध। वे भी करने युद्ध, बहुत से बाण चलाये मेघनाद के प्राण आज संकट में आये। कह ‘प्रशांत’ फिर वीरघातिनी शक्ति चलायी लक्ष्मणजी गिर पड़े, मूरछा गहरी आयी।।51।। - मेघनाद हर्षित हुआ, मन में भरा क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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