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काव्य रूप में पढ़ें श्रीरामचरितमानस: भाग-45
सिन्धु वचन सुनकर प्रभु, मंत्री लिये पुकार अब विलम्ब किस बात का, करो सेतु तैयार। करो सेतु तैयार, रीछ-वानर सब आओ बड़ी शिलाएं पर्वत-पेड़ उठाकर लाओ। कह ‘प्रशांत’ नल-नील हाथ से उन्हें छुएंगे देखो फिर वे कैसे सागर पर तैरेंगे।।1।। - जल्दी ही होने लगा, रामसेतु तैयार पूरा सेना में क्लिक »-www.prabhasakshi.com