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काव्य रूप में पढ़ें श्रीरामचरितमानस: भाग-44
साधु-संत को हो जहां, पर भारी अपमान निश्चित वहां विनाश है, शंका जरा न जान। शंका जरा न जान, पीठ जैसे ही फेरी सभा हुई श्रीहीन, तनिक लागी न देरी। कह ‘प्रशांत’ जैसे ही पहुंचे राम-शिविर में क्यों हैं आये, चिन्ता व्यापी सबके मन में।।61।। - पहुंच गये सुग्रीव फिर, क्लिक »-www.prabhasakshi.com