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राज्यसभा सांसद नसीर हुसैन ने डीयू की पूर्व प्रोफेसर का अस्थि विसर्जन किया

बेंगलुरु, 20 मई (आईएएनएस)। कोविड महामारी के कारण जहां कुछ लोग अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं, वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की है। प्रोफेसर सावित्री विश्वनाथन ने 5 मई को कोविड संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। हुसैन ने पूर्ण तमिल ब्राह्मण रीति-रिवाजों के साथ सावित्री का अस्थि विसर्जन किया। हुसैन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि प्रोफेसर विश्वनाथन हमारे लिए हमारी चाची, एक सहयोगी, पड़ोसी और दोस्त थीं और हमने आज तक करीबी पारिवारिक संबंध बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से जापानी अध्ययन की सेवानिवृत्त प्रोफेसर सावित्री विश्वनाथन अपनी बहन के साथ कोविड पॉजिटिव पाई गई थीं। वह बेंगलुरु के अस्पताल से नहीं लौट सकीं, जहां उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब उन्हें भर्ती कराया गया तो हमने अस्पताल में उनकी जरूरत की चीजों की व्यवस्था करने की पूरी कोशिश की और 5 मई को उनकी मृत्यु के बाद, हमने बेंगलुरु में उनके दाह संस्कार की भी व्यवस्था की, क्योंकि उनके परिवार के कई सदस्य तमिलनाडु और विभिन्न देशों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वनाथन एक तमिल ब्राह्मण परिवार से थीं, इसलिए हमें उनकी अस्थियों को नदी में विसर्जित करने का काम भी करना पड़ा। वैसे यह कार्य पुत्र या परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है। कांग्रेस नेता ने कहा, परिवार के सभी सदस्यों से बात करने के बाद मैंने उनसे कहा कि मैं ही सावित्री के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया निभाऊंगा। उन्होंने कहा, इसलिए मैंने अपनी पत्नी के साथ 18 मई को मैसूर के पास उनकी अस्थियां कावेरी नदी में विसर्जित करने का फैसला किया और इसके लिए हमने एक एक पंडित की सहायता ली और अंतिम प्रक्रिया तमिल अनुष्ठान के साथ पूरी की गई। कई राज्यों में लॉकडाउन के बाद कई परिवार अपने रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए हैं और कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद भारत के लिए कोई यात्री उड़ान नहीं भर पाया है। इस संकट की घड़ी में कई एनजीओ और अन्य लोग कोविड पीड़ितों का अंतिम संस्कार करने के लिए आगे आए हैं। हुसैन ने कहा कि हम भारत में रहते हैं और हमें बचपन से ही अपने सामाजिक ताने-बाने में एकजुट रहना सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि बचपन से हमने देखा है कि कैसे हिंदू, मुसलमान सभी एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख बांटते हैं। हुसैन ने कहा, हमने देखा है कि कॉलोनियों में परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर दूसरों के घरों में भी खाना नहीं बनता है, क्योंकि सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दूसरे समुदाय के लोग अपने घरों से खाना भेजते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, आजकल, हमने धार्मिक आधार पर और सांप्रदायिक विभाजन पर इतना ध्रुवीकरण देखा है, लेकिन ये चीजें अस्थायी हैं। भारत बहुत मजबूत है और जिस संस्कृति और परंपराओं को हम हजारों सालों से साझा कर रहे हैं, वह वहीं रहेगी। हुसैन ने कहा कि सावित्री दिल्ली विश्वविद्यालय में जापानी भाषा, इतिहास और राजनीति की शिक्षिका और शोधकर्ता थीं, जहां उन्होंने चीनी और जापानी अध्ययन विभाग का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि विश्वनाथन ने अपने बेहतरीन अकादमिक कार्यों के साथ ही जापानी भाषा से जुड़ी शिक्षा और जापानी अध्ययन के विकास और प्रचार में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हुसैन ने कहा, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों की जापान में अपने समकक्षों के साथ आधिकारिक वार्ता में सहायता की और वह जापान-भारत प्रख्यात व्यक्ति समूह (2000-2002) की सदस्य भी रह चुकी थीं। जापानी सरकार ने उन्हें 1967 में प्रधानमंत्री पुरस्कार और 1982 में ऑर्डर ऑफ द प्रीशियस क्राउन, विस्तारिया से सम्मानित किया था। --आईएएनएस एकेके/एसजीके

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