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राजस्थान सरकार ने गर्भवती सुअरों को पिंजरे में कैद करने के खिलाफ सकरुलर जारी किया

जयपुर, 9 मार्च (आईएएनएस)। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की अपील के बाद, गर्भवती सुअरों को कैद करने और फैरोइंग क्रेट के उपयोग पर रोक लगाने के लिए, राजस्थान सरकार के पशुपालन निदेशालय ने एक परिपत्र जारी कर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(ई) का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए विभाग के सभी जिला संयुक्त निदेशकों को निर्देश दिया है। अधिनियम किसी भी जानवर को पिंजरे या पात्र में रखने पर रोक लगाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग द्वारा पुष्टि की गई है कि जेस्टेशन और फैरोइंग क्रेट में जानवरों को कैद कर दिया जाता हैं, जो धारा 11 (1) (ई) का उल्लंघन करते हैं। पेटा इंडिया की कार्रवाई के बाद गोवा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सरकारों द्वारा गर्भ और फैरोइंग क्रेट के उपयोग पर रोक लगाने वाले परिपत्र पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इसी तरह का एक सकरुलर पहले पंजाब सरकार द्वारा जारी किया गया था। जेस्टेशन क्रेट (ए के ए शो स्टॉल) धातु के पिंजरे होते हैं जो सुअर के आकार के होते हैं, जिनमें कंक्रीट या स्लेटेड फर्श होते हैं। उनका उपयोग गर्भवती सूअरों को कैद करने के लिए किया जाता है। पेटा इंडिया एडवोकेसी एसोसिएट फरहत उल ऐन ने कहा कि पेटा इंडिया राजस्थान सरकार की इस कार्रवाई की सराहना करती है। पेटा इंडिया सभी को याद दिलाना चाहता है कि वे सूअरों को न खाकर उनकी पीड़ा को रोकने में मदद कर सकते हैं, क्योंकि इन पिंजरों का उपयोग सुअर-मांस उद्योग में किया जाता। सूअरों को बूचड़खानों में ले जाया जाता है, जहां उन्हें सिर पर वार करके या सीने में छुरा घोंपकर मार दिया जाता है। --आईएएनएस एमएसबी/आरजेएस

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