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रेलकर्मियों ने सोशल मीडिया पर उठाई “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा की मांग

नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। भारतीय रेल के कर्मचारियों ने सोमवार को केंद्र सरकार से “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा दिये जाने की मांग की है। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के आह्वान पर देश भर के रेलकर्मियों ने ट्विटर अभियान के माध्यम से प्रधानमंत्री, रेलमंत्री, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को ट्वीट कर सभी रेलकर्मियों को “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा दिये जाने की सरकार से मांग की। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि भारतीय रेल में कार्यरत कर्मचारियों को “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा नहीं मिलने से काफी रोष है। भारतीय रेल के कर्मचारी भी दिन रात कार्य करते हुए कोरोना काल में अपनी जान की कुर्बानी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार दूसरे विभाग के कर्मचारियों का “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा देकर उन्हें तमाम सुविधाए दे रही है लेकिन रेलवे कर्मचारियों को अनदेखा किया जा रहा है जो अन्य “फ्रंटलाइन वर्कर” की तरह ही अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने रेलकर्मियों को भी “फ्रंटलाइन वर्कर” की मांग को जल्दी न माना और उन्हें भी कोरोना वर्कर की तरह तमाम सुविधाएं दिये जाने की तत्काल घोषणा न की तो आंदोलन और तेज कर दिया जायेगा। मिश्र ने बताया कि कोरोना महामारी के बावजूद रेल कर्मचारी अपनी शहादत को देते हुए पूरे मनोयोग से ट्रेनों का संचालन और अनुरक्षण कर रहे हैं। इस आपदा में देशवासियों को आक्सीजन मुहैया करा लोगों की जान बचाई, इसके बावजूद भी रेलकर्मियो की जायज मांगों को नामंजूर किया जा रहा है जो एआईआरएफ को बिल्कुल मंजूर नहीं हैं। महामंत्री ने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि अपनी जान को जोखिम में डालकर भी देश की सेवा में जुटे इन रेल कर्मचारियों को सरकार फ्रंटलाइन कोरोना वर्कर नहीं मानती जिस कारण रेल कर्मचारियों को अभी तक वैक्शीनेशन में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है और उनकी मृत्यु हो जाने पर उन्हें 50 लाख का एक्स ग्रेसिया के भुगतान से भी वंचित किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

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