मप्र में तालाब लिखेंगे समृद्धि की कहानी

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भोपाल, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। पानी बदलाव की कहानी लिखता है, जहां बाढ़ आती है वहां बर्बादी होती है, जहां सुखाड़ (सूखा) होता है, वहां उजाड़ होता है और जहां पानी होता है, वहां विकास होता है। मध्यप्रदेश में भी पानी के सहारे विकास और समृद्धि की कहानी लिखने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसके तहत नई संरचनाओं की बजाय पुरानी जल संरचनाओं को संजोए जाने पर जोर है, ताकि बड़े इलाके को पानीदार बनाया जा सके। राज्य के बड़े हिस्से में पानी की उपलब्धता का साधन जल संरचनाएं रही हैं, मगर वक्त गुजरने के साथ यह जल संरचनाएं अपना मूल स्वरूप को खोती गईं। परिणामस्वरूप, पानी की समस्या ने साल दर साल विकराल रूप धारण कर लिया। ऐसा नहीं है कि हालात सुधारने के लिए सरकारों ने प्रयास न किए हों, नई जल संरचनाएं बनाने पर करोड़ों-अरबों रुपये खर्च किए, मगर वे नाकाफी साबित हुए। दूसरी ओर, पुरानी जल संरचनाओं पर किसी ने गौर ही नहीं किया। अब मध्यप्रदेश में पुरानी जल संरचनाओं को सहेजने और संवारने के लिए पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के जरिए इन संरचनाओं पर बहुत कम राशि खर्च कर जल संग्रहण की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश है, साथ ही इस अभियान से राज्य सरकार पर अतिरिक्त भार भी नहीं आने वाला, क्योंकि यह काम मनरेगा के तहत कराए जा रहे हैं। राज्य में पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के तहत लगभग 45 हजार जल संरचनाओं को चिन्हित किया गया है, इनमें से 34 हजार जल संरचनाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। इन जल संरचनाओं को प्राथमिकता देने के लिए इनसे होने वाले आर्थिक लाभ पर खास गौर किया गया है। कुल मिलाकर जल संरचनाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। जिन संरचनाओं के आसपास के लोग सिंघाड़े की खेती, मछली पालन या मखाने का उत्पादन करना चाहते हैं, वहां की जल संरचनाओं को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है। वहीं, जिन जल संरचनाओं से बड़े हिस्से की सिंचाई हो सकती है, उन्हें भी सुधारा जा रहा है। नई जल संरचनाओं की बजाय पुरानी जल संरचनाओं को दुरुस्त करने का भी बड़ा कारण है, क्योंकि जो पुरानी जल संरचनाएं हैं, वे लोगों की जरुरतों को ध्यान में रखकर सबसे उत्तम स्थल पर बनाई गई होंगी, जबकि नई संरचनाओं को बनाने में दूसरे तरह की रुचि मसलन आमजन के लाभ की बजाय सरकारी मशीनरी और ठेकेदार अपने निजी लाभ ज्यादा देखते हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इन जल संरचनाओं के दुरुस्त होने से लगभग दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई संभव हो सकेगी, इतनी सिंचाई क्षमता को बढ़ाने के लिए अगर बांध बनाया जाता तो उस पर 10 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च आता, मगर पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के जरिए 45 हजार जल संरचनाओं को महज 900 करोड़ रुपये में दुरुस्त किया जा रहा है। इस अभियान से एक तरफ जहां खेती के लिए पानी सुलभ होगा, तो वहीं दूसरी ओर उस इलाके के लोगों को रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे। पंचायत एंड ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव का कहना है कि ग्रामीण इलाके की विकास की धुरी रहे हैं तालाब, मगर यह धीरे-धीरे संकुचित होते गए, क्षतिग्रस्त हुए और उन तक पानी पहुंचने का रास्ता भी खत्म हो गया। इन जल संरचनाओं को बहुत कम लागत में दुरुस्त किया जाना संभव है और ऐसा ही हो रहा है। इन जल संरचनाओं के दुरुस्त होने पर लोगों को खेती के लिए पानी तो मिलेगा ही, वहीं मछली पालन, सिंघाड़ा की खेती के अलावा अन्य रोजगार भी सुलभ हो सकेंगे। --आईएएनएस एसएनपी/एसजीके

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