pilgrims-will-now-be-able-to-get-immediate-treatment-if-needed-in-hem-kund-sahib
pilgrims-will-now-be-able-to-get-immediate-treatment-if-needed-in-hem-kund-sahib

हेम कुंड साहिब में अब तीर्थयात्रियों को जरूरत पड़ने पर तुरंत मिल सकेगा इलाज

देहरादून, 23 मई (आईएएनएस)। हेमकुंड साहिब में प्रतिवर्ष हजारों तीर्थयात्री पहुंचते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से पुलना तक तीन किलोमीटर वाहन से और फिर 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई पार करनी पड़ती है। असहाय तीर्थयात्री घोड़े-खच्चर और पालकी से सफर तय करते हैं। आपतकालीन हेलीकॉप्टर सेवा के लिए हेमकुंड साहिब में हेलीपैड का निर्माण जल्द शुरू हो जाएगा। इसके लिए भूमि चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वन विभाग की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है। इससे यात्रा के दौरान बीमार होने वाले तीर्थयात्रियों को तुरंत अस्पताल तक पहुंचाया जा सकेगा। समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब में प्रतिवर्ष हजारों तीर्थयात्री पहुंचते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से पुलना तक तीन किलोमीटर वाहन से और फिर 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई पार करनी पड़ती है। असहाय तीर्थयात्री घोड़े-खच्चर और पालकी से सफर तय करते हैं। गोविंदघाट से घांघरिया के समीप कांजिला तक हेलीकाप्टर सेवा भी है। लेकिन कांजिला से हेमकुंड साहिब तक करीब आठ किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा ट्रस्ट ने विषम परिस्थितियों के मद्देनजर हेमकुंड साहिब में भी हेलीपैड के निर्माण की योजना बनाई थी। लंबे समय तक हेलीपैड का निर्माण वन भूमि की स्वीकृति न मिलने के कारण अटका रहा। अब वन विभाग ने स्वीकृति दे दी है। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि हेमकुंड साहिब में हेलीपैड निर्माण के लिए वन विभाग की ओर से स्वीकृति दे दी गई है। अब शासन स्तर पर शीघ्र टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हेलीपैड हेमकुंड साहिब के समीप ही स्थापित होगा। अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण हेमकुंड साहिब में कई तीर्थयात्री अचानक अस्वस्थ हो जाते हैं। ऐसे में यहां हेलीकाप्टर सेवा तीर्थयात्रियों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब से हेलीकॉप्टर की नियमित सेवा नहीं चलेगी, यहां से सिर्फ आपातकालीन सेवा का ही संचालन होगा। --आईएएनएस स्मिता/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in