people-who-have-been-awakening-the-environment-for-30-years-donate-saplings-in-auspicious-programs
people-who-have-been-awakening-the-environment-for-30-years-donate-saplings-in-auspicious-programs

30 वर्षों से जगा रहे पर्यावरण की अलख, मांगलिक कार्यक्रमों में करते हैं पौध दान.

- प्रयागराज स्थित अक्षय बट की टहनी से तैयार करेंगे, 108 वटवृक्ष महेन्द्र तिवारी गोण्डा, 01 जून (हि.स.)। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी प्रकृति के प्रति ऐसा अगाध प्रेम जिसने अपने जीवन में जल, जमीन, जंगल, जलवायु का संरक्षण करने तथा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए पांच (ज) के सिद्धांत को अपने जीवन में उतारा ही नहीं बल्कि उसको साकार करने के लिए जीवन बचाओ आंदोलन के माध्यम से धार दी। उन्नाव जनपद के एक छोटे से गांव में जन्मे संतोष कुमार बाजपेई बताते हैं कि उनका बचपन से ही पेड़ पौधों से अगाध प्रेम था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद विधि में स्नातक किया। उसके बाद उन्हें गोंडा जनपद के मनकापुर आईटीआई में इंजीनियर के पद पर तैनाती मिल गई। यहां पर तैनाती के दौरान उन्होंने अपने इस मुहिम को काफी रफ्तार दिया। वर्तमान में नैनी आईटीआई मैं सहायक विधि अधिकारी के रूप में तैनाती है। जनपद में तैनाती के दौरान लाखों आम सहित विभिन्न पौध का रोपण कराया। जिले में तैनाती के दौरान जब बाजपेई को ड्यूटी से छुट्टी मिलती या फिर अवकाश के दिनों में वह अपने स्कूटर पर एक दर्जन पौधों को लादकर किसी न किसी विद्यालय में पहुंच जाते तो वहां पर बच्चों की एक टीम बनाकर इन पौधों को रोपित कराते। प्रत्येक बच्चे को पौधों का महत्व समझाते हुए एक एक पौध के देखभाल की जिम्मेदारी उन्हें सौंप देते। वह बताते हैं कि जब बच्चों की समझ में यह बात आ जाती थी कि विद्यालय छोड़ने के बाद उनके यादगार के रूप में पौध विद्यमान रहेगा। इस नाते वह बड़ी लगन के साथ उसकी देखभाल करते थे। जिसका परिणाम रहा कि आज भी वे पौध वृक्ष के रूप में विभिन्न विद्यालयों में विद्यमान हैं। अक्षय वट की टहनी से तैयार करेंगे, 108 अक्षय वट पर्यावरणविद संतोष कुमार बाजपेई बताते हैं कि प्रयागराज स्थित अक्षय वट की टहनी से 108 अक्षय वट तैयार करके पूरे देश के प्रमुख स्थानों पर स्थापित करने का लक्ष्य बनाया है। इसकी अनुमति के लिए प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को जीवन बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय प्रभारी अनुपम बाजपेई ने पत्र भेजा है। कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए जीवन बचाओ आंदोलन के सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। कहा कि सभी को सरकारी आदेशों का पालन करते हुए अपने अपने जीवन को सुरक्षित रखने की जरूरत है। राष्ट्रीय वृक्ष मित्र पुरस्कार से नवाजा गया जल संरक्षण के लिए जल प्रहरी सम्मान पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 2002 का इन्द्रा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। इसके अतिरिक्त विदेशों में सिंगापुर मलेशिया में पर्यावरण सरक्षण के लिए सम्मानित किया जा चुका है। वृक्षारोपण को संस्कार से जोड़ने की मुहिम चलाई जीवन बचाओ आंदोलन के प्रमुख पर्यावरणविद श्री बाजपेई 3 जून 1990 से पृथ्वी के साथ मानव के अस्तित्व की रक्षा हेतु बच्चे के जन्म होने तथा प्रतिवर्ष जन्म दिवस विवाह के अवसर पर पौधे दान कर उनसे पौध रोपित कराते है। अपनी शादी में पत्नी के साथ परिणय पौध रोपित कर वृक्षारोपण को संस्कार से जोड़ने की मुहिम चलाया। पिता की राह पर चलने की प्रेरणा माता से मिली महज 17 साल अल्प की अल्पायु में इनके पिता हीरालाल बाजपेई का निधन हो गया। उनका प्रकृति से अगाध प्रेम होने के कारण अपने घर के आस-पास व गांव में पौधों को रोपित कराकर अपने गांव को हरा भरा रखने का पूरा प्रयास करते थे। पर्यावरण के महत्व को समझाते हुए अपने पूरे इलाके में उन्होंने लोगों को पौध लगाने के लिए हमेशा जागरूक करते रहते थे। उनकी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इनकी मां चंद्रवती हमेशा इन्हें उत्साहित करती रहे। गांव पर बनवाया प्रेरणा स्थल वर्ष 1990 से अपने गांव से ही पांच (ज) जल, जमीन, जंगल, जलवायु, जनसंख्या के सिद्धांत पर काम करने की शुरुआत की। इस वर्ष को यादगार बनाने के लिए उन्नाव के विरसिंहपुर गांव में प्रेरणा स्थल का निर्माण कराकर इसे पंचवटी का रूप दिया। इस पंचवटी में 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पौधों के अतिरिक्त विभिन्न तरह के फल-फूल के वृक्षों से इसे सजाया है। यादगार के रूप में प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस के मौके पर यहां पर विभिन्न तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नदियों की अविरलता के लिए भरवाते हैं संकल्प पत्र गंगा सहित विभिन्न नदियों को स्वच्छ तथा उनकी अविरलता बनाए रखने के लिए माघ मेले के अवसर पर प्रकृति की रक्षा के लिए जीवन बचाओ संकल्प पत्र भरवाने के साथ-साथ नदियों की निर्मलता बनाए रखने के लिए लोगों को शपथ दिलाई जाती है। उनका मानना है की प्रकृति ईश्वर का अनमोल उपहार है। उसकी रक्षा करना हम सबका दायित्व है। कहा कि वृक्ष हमारे लिए जीवन दाता है। उनकी उपयोगिता इस कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी ने हमें सोचने पर विवश कर दिया है। ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं। हम सबको ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ते तापमान में पेड़ों के महत्व को अच्छी तरह से समझना होगा। हिन्दुस्थान समाचार

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in