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संसद की स्थायी समिति ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए मीडिया परिषद के गठन और टीवी चैनलों के स्व-विनियमन व्यवस्था को प्रभावी बनाने की सिफारिश की

नई दिल्ली, 1 दिसम्बर (आईएएनएस)। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति ने मीडिया से जुड़ी शिकायतों का समाधान करने और मीडिया कवरेज में नैतिक मानक को सुनिश्चित करने के लिए प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए भी भारतीय प्रेस परिषद का पुनर्गठन कर एक व्यापक मीडिया परिषद के गठन की संभावना का पता लगाने की सिफारिश सरकार से करते हुए कहा है कि इस परिषद को अपने आदेशों को लागू कराने की कानूनी शक्ति भी होनी चाहिए ताकि यह मीडिया की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हुए उच्चतम नैतिक मानदंड और मीडिया की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए भी उचित कदम उठा सके। व्यापक मीडिया परिषद के गठन के लिए विचार विमर्श करने और सर्वसम्मति बनाने के लिए संसदीय समिति ने सरकार से विशेषज्ञों वाले एक मीडिया आयोग बनाने की भी सिफारिश की है। लोक सभा सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति द्वारा मीडिया कवरेज में नैतिक मानक विषय पर लोक सभा में पेश की गई रिपोर्ट में मीडिया की विश्वसनीयता और सत्यनिष्ठा खोने की बात करते हुए मीडिया की स्वतंत्रता , प्रिंट के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में भी मानकों के पालन, शिकायत निवारण की व्यवस्था , निगरानी तंत्र , टीवी चैंनलों द्वारा स्व-विनियमन , टीआरपी, सोशल मीडिया , पेड न्यूज , फेक न्यूज और मीडिया में एफडीआई के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर भी सरकार से सिफारिश की गई है। संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में विधि आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पेड न्यूज को चुनावी अपराध बनाने के लिए विधि आयोग की सिफारिशों के शीघ्र क्रियान्वयन के लिए विधि और न्याय मंत्रालय से बात करने को कहा है। समिति ने फेक न्यूज शब्द को व्यापक रूप से परिभाषित करने की सिफारिश करते हुए मंत्रालय को वायरल वीडियो और समाचारों के प्रति सतर्क रहने के साथ-साथ जांच के लिए और अधिक एफसीयू खोलने की सिफारिश की है। टीआरपी मापने की वर्तमान प्रणाली से असंतुष्ट संसदीय समिति ने सरकार ने इसमें सुधार करने और परिवर्तन लाने की सिफारिश करते हुए कहा है कि इसके नमूने के आकार को बढ़ाते हुए ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों को भी शहरों की तरह समान वेटेज देना चाहिए। टीआरपी उपकरणों में छेड़छाड़ के जरिए टीआरपी बढ़ाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए समिति ने मंत्रालय को टीआरपी प्रणाली में सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक प्रणाली का अध्ययन करने की सलाह दी है। प्रिंट मीडिया में नैतिक मानकों का पालन न करने की सूरत में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की वर्तमान व्यवस्था की खामियों को उजागर करते हुए समिति ने भारतीय प्रेस परिषद द्वारा सेंसर किए गए मामलों पर कार्रवाई करने के लिए ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन के लिए समय सीमा निर्धारित करने की भी बात कही है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लेकर समिति ने मौजूदा केबल टेलिविजन नेटवर्क ( विनियमन ) अधिनियम -1995 को 25 वर्ष पुराना बताते हुए इसमे शीघ्र आवश्यक संशोधन करने की सिफारिश करते हुए इसे अधिक उपभोक्ता हितैषी , अधिक पारदर्शी और सभी हितधारकों की समस्या का समाधान करने के लिहाज से बनाने की सिफारिश की है। समिति ने राष्ट्र विरोधी ²ष्टिकोण शब्द को निजी चैनलों के लिए अनावश्यक उत्पीड़न की आशंका पैदा करने वाला करार देते हुए इस शब्द को उचित ढंग से परिभाषित करने की भी सिफारिश की है। संसदीय समिति ने मीडिया कवरेज में संहिता के उल्लंघन के मामलों में सरकार द्वारा अपनाए गए तरीकों का अनुमोदन नहीं करते हुए कहा है कि इस तरह के मामलों का समयबद्ध ढंग से निपटारा होना चाहिए। टीवी चैनलों द्वारा बनाए गए स्व - विनियमन व्यवस्था के तहत गठित एनबीए, एनबीएसए, आईबीएफ और अन्य संगठनों का जिक्र करते हुए समिति ने कहा कि सभी 926 निजी चैनल इन संगठनों के सदस्य नहीं है और इसलिए सरकार को स्व-विनियमन के इस तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। समिति ने सरकार से देश के सभी 926 निजी सैटेलाइट चैंनलों को इस व्यवस्था के तहत लाने हेतु प्रयास करने को भी कहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कंटेंट का असर बच्चों पर पड़ने की बात स्वीकार करते हुए समिति ने यह भी कहा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म दर्शकों को इस बात की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं कि वो किस तरह की सामग्री को देखें और इस प्रकार की स्वतंत्रता को सरकार द्वारा छीना नहीं जाना चाहिए। समिति ने कहा है कि उन्हें आशा है कि सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम और सशक्त निगरानी प्रणाली के साथ सामाजिक माध्यम प्लेटफॉर्मों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होंगे। हालांकि इसके साथ ही समिति ने इस बात पर भी जोर दिया है कि किसी भी नियम में यह उपाय होना चाहिए कि उसका दुरुपयोग न हो सके और उसकी वजह से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 एवं 21 का उल्लंघन न हो। समिति ने मीडिया क्षेत्र में एफडीआई प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की बात करते हुए कहा है सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मीडिया के लिए एफडीआई नियम इस प्रकार से संगत बनाए की कमी वाले क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सके और इसकी स्वायत्तता सुनिश्चित करते हुए इस उद्योग को सहायता दी जा सके। शिकायत निवारण तंत्र को लेकर सिफारिश करते हुए समिति ने कहा है कि वर्तमान में किसी व्यक्ति की शिकायत के निवारण ( यदि उसके खिलाफ कुछ लिखा गया है ) के लिए कोई तंत्र मौजूद नहीं है इसलिए समिति सरकार से जिला, राज्य और केंद्र के स्तर पर इस तरह के तंत्र को लोगों के अनुकूल बनाने की सिफारिश की है। समिति ने मंत्रालय से मीडिया हेल्पलाइन नम्बर बनाने की संभावना तलाशने को भी कहा है । इसके साथ ही समिति ने सभी टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र या लोकपाल जैसी कोई व्यवस्था बनाने की भी सिफारिश की है। --आईएएनएस एसटीपी/एएनएम

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