उड़ीसा के कारोबारी का अपहरण करने वाला उत्तराखंड से गिरफ्तार
देहरादून, 26 जुलाई (हि.स.)। उड़ीसा के सम्बलपुर जिले से एक नामी-गिरामी कंस्ट्रक्शन कारोबारी का अपहरण करने के मामले में उत्तराखंड पुलिस ने मुख्य आरोपित को रविवार को डोभाल चौक, रायपुर के पास से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को उसके पास से घटना में प्रयुक्त स्विफ्ट कार और मोबाइल फोन भी मिल गया है। देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी के अनुसार 25 जुलाई को सम्बलपुर के एसपी ने फोन पर उन्हें अवगत कराया कि सम्बलपुर जिले के सासन थाना क्षेत्र से 10 जुलाई को कन्सट्रक्शन कारोबारी का चार व्यक्तियों द्वारा अपहरण किया गया था। उक्त घटना में वांछित मुख्य आरोपित राजीव दुआ मूल रूप से देहरादून का ही रहने वाला है तथा वर्तमान में देहरादून में कहीं छुपा हुआ है। साथ ही सम्बलपुर जिले से अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए 55 सीआरपीसी का नोटिस फैक्स के माध्यम से प्राप्त हुआ। मामले को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल क्षेत्राधिकारी डोईवाला/एसओजी, दिनेश चंद्र ढौंडियाल के नेतृत्व में टीम गठित करते हुए अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये गये। अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए सूचना तंत्र को मजबूत किया गया तथा इलेक्ट्रानिक सर्विलांस की सहायता से भी अभियुक्त के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की गयी। इस बीच अभियुक्त राजीव दुआ को आज (रविवार को) डोभाल चौक, रायपुर के पास से गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त की गयी स्विफ्ट कार और मोबाइल फोन बरामद कर लिया गया। राजीव दुआ 5 अंसारी मार्केट, पल्टन बाजार, देहरादून का रहने वाला है। पूछताछ में अभियुक्त राजीव दुआ ने बताया, “मेरी पल्टन बाजार में कपड़े की दुकान थी परन्तु कारोबार ठीक से न चल पाने के कारण मैं वर्ष 2018 में अपने मामा रमेश आहुजा के पास सम्बलपुर ( उड़ीसा) चला गया तथा वहां कपड़ों का कारोबार शुरू किया लेकिन कारोबार न चल पाने के कारण मुझ पर काफी कर्जा हो गया। उसने बताया कि कारोबार के दौरान मेरी मुलाकात सम्बलपुर निवासी सैफ से हुई, जो पेंट का काम करता था।वह अक्सर मेरी दुकान पर कपड़े लेने आता था। सैफ ने मेरी मुलाकात राजा से करवाई। चूंकि हम तीनों व्यक्ति काफी कर्जे में डूबे हुए थे, इसलिए हमने मामा के पड़ोस में रहने वाले एक कारोबारी नरेश अग्रवाल का अपहरण कर फिरौती मांगने की साजिश रची। पहले हमने तीन से चार माह तक नरेश अग्रवाल के आने-जाने तथा रोजमर्रा के कार्यों की रेकी की। इस दौरान हमने पाया कि नरेश अग्रवाल का सैशन बाईपास चौक के पास एक प्लाट था, जिसमें निर्माण कार्य चल रहा था तथा वह निर्माण कार्यों का जायजा लेने रोज उस प्लाट पर जाता था।” राजीव दुआ ने आगे बताया, “हम लोगों ने प्लाट के पास से ही उसका अपरहण करने की रणनीति बनाई और 10 जुलाई को पूर्व नियोजित योजना के तहत मैंने अपने साथियों को ऐडावाली चौक सम्बलपुर में मिलने के लिए बुलाया। अपहरण के लिए मैंने अपनी कार का इस्तेमाल किया तथा उसकी नम्बर प्लेट चेंज कर दी। वहां से मैं, सैफ, राजा तथा एक अन्य व्यक्ति, जिसे राजा अपने साथ लाया था, को लेकर सैशन बाईपास चौक के पास उक्त प्लाट पर पहुंचे। हमारे पास नारियल काटने वाले हथियार थे। जैसे ही नरेश अग्रवाल प्लाट से वापस जाने के लिये अपनी गाड़ी की ओर गया, मेरे तीन अन्य साथियों ने उसे पकडकर हमारी गाड़ी में बैठा लिया तथा वहां से हम सभी फरार हो गये। योजना के मुताबिक हम उसे बेहोश करके पहले से ही किराये पर लिये गये एक मकान मे ले गये। अपहरण करने के पश्चात हम उसके परिजनों को फिरौती के लिए फोन करने ही वाले थे कि हमें पता चला कि पुलिस द्वारा नरेश अग्रवाल की तलाश में जगह-जगह छापेमारी व चेकिंग की जा रही है। इससे हम सभी काफी घबरा गये तथा उसी दिन लगभग 7 से 8 घंटे के बाद नरेश अग्रवाल को उसके घर के ही पास छोड़कर फरार हो गये। उसके पश्चात मैं 18 जुलाई को अपनी कार से उडीसा से देहरादून आ गया था।” एसएसपी ने बताया कि इस अभियान को अंजाम देने वाली पुलिस टीम में दिनेश चन्द्र ढौंडियाल, क्षेत्राधिकारी डोईवाला/एसओजी, निरीक्षक एश्वर्य पाल, प्रभारी एसओजी, एसआई अमरजीत सिंह, थानाध्यक्ष रायपुर, एसएसआई मोहन सिंह, एसओजी, अजय रावत, थाना रायपुर तथा कांस्टेबल अमित, पंकज, ललित, देवेंद्र, विपिन, आशीष शर्मा और प्रमोद (एसओजी) शामिल थे। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल/सुनीत-hindusthansamachar.in