नए जम्मू-कश्मीर में सचिवालयों के बाहर अब लंबी कतारों से छुटकारा!
श्रीनगर, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक समय था, जब श्रीनगर और जम्मू शहरों में सिविल सचिवालयों के बाहर लोग अपना काम करवाने के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े होते थे। विजिटिंग ऑवर निश्चित था और भाग्यशाली लोगों को ही किसी तरह अपनी समस्या बताने का मौका मिलता था। समय समाप्त होने के कारण कई लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता था। तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में अप्रभावी और कमजोर शिकायत निवारण प्रणाली सरकार और लोगों के बीच अलगाव के प्रमुख कारणों में से एक थी। निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए शासन कभी प्राथमिकता नहीं रहा। वे उन मुद्दों को उठाने में लगे रहे जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते थे। एक आम आदमी, जो अपने अस्तित्व के लिए जीता है, उसके लिए उन पुरुषों या महिलाओं तक पहुंचना बहुत मुश्किल था, जिन्हें उन्होंने वोट दिया था। उचित सड़कें, स्वच्छता, बिजली, पानी, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर सबसे कम चर्चा हुई। हालांकि, 5 अगस्त, 2019 के बाद - जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की - सरकार ने नए बने केंद्र शासित प्रदेश में शिकायत निवारण प्रणाली को प्रभावी बनाने पर जोर दिया। दो साल के भीतर नया जम्मू और कश्मीर में बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, क्योंकि लोगों को अब श्रीनगर और जम्मू में नागरिक सचिवालयों के बाहर लंबी कतारों में आवेदनों के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है, न ही उन्हें सुने जाने के लिए भाग्यशाली होना पड़ता है। सरकार ने एक आम आदमी के लिए अपनी शिकायत बताने और ऑनलाइन या फोन पर की गई कार्रवाई के बारे में स्थिति की जांच करने के लिए हेल्पलाइन और ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल स्थापित किए हैं। अधिकारी सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। जो सिस्टम दुर्गम हुआ करता था वह सुलभ हो गया है। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तन के कुछ ही महीनों बाद, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने 15-16 नवंबर, 2019 को जम्मू-कश्मीर में सुशासन पर दो सम्मेलन और जल शक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक भारत-श्रेष्ठ भारत पर सम्मेलन आयोजित किया। इन आयोजनों का उद्देश्य यह संदेश पहुंचाना है कि व्यवस्था बदल गई है और आम आदमी की शिकायतों का निवारण करना प्राथमिकता होनी चाहिए। 16 अगस्त, 2020 को, भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर में शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार का कार्य प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) को सौंपा। जम्मू और कश्मीर देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश है, जहां त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय शिकायत पोर्टल के साथ जिला स्तरीय शिकायत कार्यालय हैं। शिकायत कार्यालय को केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। 11 सितंबर, 2020 को, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा ने जम्मू और कश्मीर एकीकृत शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (जेके-आईजीआरएएमएस) का शुभारंभ किया। नई प्रणाली का उद्देश्य जनता के साथ एक इंटरफेस बनाना और जम्मू-कश्मीर में शासन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है। --आईएएनएस आरएचए/एएनएम