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राष्ट्रीय जलमार्ग 1 पर विचार करने की गुंजाइश नहीं: एनजीटी

नयी दिल्ली , 7 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की राष्ट्रीय जलमार्ग 1 परियोजना पर विचार करने की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में पहले ही अपना फैसला सुना चुका है। राष्ट्रीय जलमार्ग 1 परियोजना गंगा नदी में प्रयागराज से हल्दिया के बीच बनाई जा रही है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ इस परियोजना के पर्यावरण प्रभाव आंकलन से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2016 को ही इस परियोजना के संबंध में अपना फैसला सुनाया था। इस आदेश को देखते हुये एनजीटी के पास इस पर विचार करने की गुंजाइश नहीं है। एनजीटी ने चार मई के अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने साफ तौर पर अपने आदेश में पर्यावरण संबंधी क्लीयरेंस की बात की है और परियोजना को जारी रखने की मंजूरी दी है। हाईकोर्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि परियोजना के शुरू होने पर पर्यावरण प्रभाव आंकलन किया जाये। एनजीटी ने कहा कि इस मामले में कोई विपरीत आदेश देना अनुचित होगा। यह आदेश छह साल पहले जारी हुआ है और एनजीटी इस पर सवाल खड़े करने का सही मंच नहीं है। एनजीटी ने कहा कि पहले भी यह बताया गया है कि पर्यावरण मंत्रालय भविष्य में अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं के संदर्भ में शासन और तकनीक से जुड़े मसलों को स्पष्ट कर सकता है। हालांकि, पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन होने पर एनजीटी मामले की सुनवाई कर सकता है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जनवरी 2018 में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नौवहन क्षमता मजबूत करने के लिये 5369.18 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ जलमार्ग विकास परियोजना के क्रियान्वयन को स्वीकृति दे दी थी। यह परियोजना विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और निवेश समर्थन से लागू की जायेगी। पऊरवरी 2018 में विश्व बैंक ने ऋण की मंजूरी दी थी। मार्च 2023 तक परियोजना पूरी होने की उम्मीद है। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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