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एनसीईआरटी को बड़े परिवर्तन लाने के लिए कमर कसनी चाहिए : शिक्षा मंत्री

दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। कोरोना जैसी महामारी के दौरान सीखने की सुविधा के लिए एनसीईआरटी ने वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर दिया। इससे स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को काफी सुविधा हुई। एनसीईआरटी को अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में परिकल्पित शिक्षा में बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाने के लिए कमर कसनी चाहिए। यह बात बुधवार को केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में बदल देगी। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एनसीईआरटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बुधवार को एनसीईआरटी के 61 वें स्थापना दिवस के अवसर पर यह बात कही। अनुसंधान, विकास और प्रशिक्षण के संसाधन केंद्र के रूप में एनसीईआरटी ने निष्ठा पहल के तहत 42 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। आत्मानिर्भर भारत और कौशल भारत की भूमिकाओं को प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक और शैक्षणिक शिक्षा के एकीकरण की भूमिका पर बल दिया। प्रो. श्रीधर श्रीवास्तव, निदेशक एनसीईआरटी ने परिषद की पिछले छह दशकों की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें संघटक इकाइयां- अजमेर, भोपाल, भुवनेश्वर, शिलांग और मैसूर में क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान शामिल हैं। उन्होने कहा कि एक शीर्ष राष्ट्रीय संगठन के रूप में, परिषद स्कूली शिक्षा में उत्कृष्टता, समानता, समावेशिता और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। एनसीईआरटी आमने-सामने और ऑनलाइन मोड में अनुसंधान, पाठ्यक्रम के विकास, पाठ्यक्रम, पाठ्य और प्रशिक्षण सामग्री के क्षेत्रों पर काम कर रहा है। हाल की महत्वपूर्ण पहलों में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन शामिल है। सीखने के परिणामों का विकास, स्कूली शिक्षा के सभी चरणों के लिए सभी विषय क्षेत्रों में ई-सामग्री तैयार करना। उपलब्धि के एक अन्य मील के पत्थर में ईसीसीई पाठ्यक्रम और दिशानिर्देशों का विकास शामिल है। इस दौरान एनसीईआरटी के डिक्शनरी ऑफ सोशियोलॉजी शीर्षक का तीन भाषाओं में प्रकाशन अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू जारी किया गया। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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