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नवसारी की 'सोनपरी' आम ने मिठास में केसर को पीछे छोड़ा

नवसारी/अहमदाबाद,11 जून (हि.स.)। नवसारी में कृषि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषि अनुसंधान कर किसानों की मदद कर रहा है। विश्वविद्यालय ने सोनपरी आम सहित आधुनिक किस्म का शोध और विकास किया है। कृषि विश्वविद्यालय ने लगभग 20 साल पहले वलसाड के पर्या फार्म में मुख्य रूप से संशोधित एक आम की किस्म विकसित की थी, जो भारी बारिश, हवा और तूफान में भी खराब नहीं होती है। लेकिन किसानों ने आम की इस किस्म को खारिज कर दिया था। लेकिन अब वही आम लाजवाब मिठास होने के कारण लोगों की पसंद बन गया है, इससेे इस आम की मांग अचानक से बढ़ गई है। आज इस सोनपरी आम ने केसर को भी फीका कर दिया है। सबसे खास बात है कि आम पकने के बाद भी कई दिनों तक खराब नहीं होता है। इस संबंध में कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सीके टिंबड़िया के अनुसार कि सोनपरी आम पर्या फार्म में शोध किया गया था। इसलिए सोने का सोन और पर्या का परी मिलाकर इस आम का नाम सोनपरी रखा गया। उन्होंने बताया कि नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में अभी शोध चल रहा है। हाल के समय में इसकी मांग में काफी वृद्धि हुई है। जलालपुर तालुका के बोडाली गांव में रहने वाली एक प्रगतिशील महिला किसान धर्मिष्ठा पटेल के बताया कि 2013 में लगाई गई सोनपरी की किस्म आज हमें अच्छा लाभ दे रही है। हिन्दुस्थान समाचार/हर्ष शाह

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