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नरवणे का सन्देश- कश्मीर घाटी के युवा हिंसा का रास्ता छोड़ बेहतर भविष्य बनाएं

- घाटी के युवाओं से मिलकर कश्मीरियों की समस्याओं के बारे में ली जानकारी - कश्मीर घाटी से हिंसा का माहौल खत्म करने के लिए उत्सुक दिखा युवा वर्ग सुनीत निगम नई दिल्ली, 05 जून (हि.स.)। भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी पर शांति-समझौते के 100 दिन पूरे होने पर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे बीते दो दिन कश्मीर घाटी में रहे। सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही उन्होंने घाटी के युवाओं से भी मुलाक़ात की। सेनाध्यक्ष ने उनसे सामने आने वाली समस्याओं के अलावा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने युवा वर्ग को हिंसा का रास्ता छोड़ कर बेहतर भविष्य बनाने का सन्देश देते हुए कहा कि हम शांति के साथ रहकर ही विकास कर सकते हैं, तभी हम एक साथ समृद्ध हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने श्रीनगर में युवाओं से मुलाक़ात की। इस दौरान उन्होंने मौजूदा समय में कश्मीरियों की समस्याओं और उनके सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। सेना प्रमुख से वार्ता के दौरान युवा वर्ग कश्मीर घाटी से हिंसा का माहौल खत्म करने के लिए उत्सुक दिखा। समाज की समग्र बेहतरी, कश्मीर में स्थायी और टिकाऊ शांति सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को सार्थक तरीके से जोड़ने की समग्र प्रक्रिया पर जनरल नरवणे का ध्यान आकर्षित किया। सेना प्रमुख ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारतीय सेना नागरिक प्रशासन के साथ-साथ युवाओं को रोजगार के क्षेत्रों में शामिल करने और हिंसा का रास्ता छोड़ने में मदद करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। जनरल नरवणे ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। पथराव के मामले भी कम हुए हैं। यह जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति की वापसी का संकेत देता है। लोग भी वही चाहते हैं और यह एक अच्छी बात है। कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि लंबे समय के बाद हम ऐसी स्थिति में पहुंचे हैं जहां शांति बनी रहने की गुंजाइश बनी है। सेना प्रमुख ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि शांति के बगैर हम विकास नहीं कर सकते हैं, इसलिए युवा हिंसा के इस रास्ते को छोड़ कर बेहतर भविष्य को अपनाएं, तभी हम एक साथ समृद्ध हो सकते हैं। सेना और सुरक्षा बलों के साथ कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के मारे जाने के आंकड़े भी बताते हैं कि पिछले दो साल में आतंकियों और घुसपैठियों के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की गई है। 2019 में 158 आतंकी मारे गए जबकि 2020 में यह संख्या 221 पहुंच गई। यही वजह है कि आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। पिछले साल 2020 में 01 जून तक 60 आतंकी मारे गए थे जबकि इस साल 01 जून तक 48 आतंकवादी मारे जा चुके हैं यानी घुसपैठ की कोशिशें कम हुई हैं। इसी तरह आतंकवादी संगठनों में युवकों की भर्ती के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में 119 युवा आतंकी गुटों में शामिल हुए थे जबकि 2020 में यह संख्या 166 पहुंच गई। जब सेना ने घाटी में युवकों को आतंकी संगठनों में भर्ती होने के खिलाफ अभियान चलाया तो 01 मई 2021 तक सिर्फ 38 युवा रास्ता भटककर आतंकवादियों के पास पहुंचे हैं जबकि 2020 में 01 मई तक 49 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार

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