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नदीम ने श्रवण के निधन पर कहा, हम वल्र्ड टूर का सोच रहे थे, कोरोना ने हमारे सपनों को कुचल दिया

नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। फिल्म आशिकी में यादगार संगीत देने वाली विख्यात संगीतकार जोड़ी नदीम-श्रवण के श्रवण राठौड़ (67) का गुरुवार की रात मुंबई में निधन हो गया। वह पिछले सप्ताह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। श्रवण के वरिष्ठ साथी नदीम सैफी ने लंदन से बात करते हुए कहा कि शन्नू (श्रवण) की मौत की खबर ने उन्हें हिलाकर रख दिया है। नदीम ने कहा कि वह एक शानदार वापसी के साथ पिछले साल से ही एक विश्व दौरे (वल्र्ड टूर) की योजना बना रहे थे, लेकिन नियति कुछ और ही थी और अचानक इसने हमारे सपनों को कुचल दिया है। अगर सत्तर के दशक में सलीम-जावेद की बॉलीवुड फिल्मों की ब्लॉकबस्टर स्क्रिप्ट ने धमाल मचाया तो वहीं नदीम-श्रवण की धुन ने नब्बे के दशक में हिंदी फिल्मों में रोमांस को फिर से परिभाषित किया। आशिकी (1990) की रिलीज के साथ इस जोड़ी ने खूब सराहना बटोरी, क्योंकि इस फिल्म के संगीत की 2 करोड़ यूनिट बिकी थी, जिसने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे, जो अब तक का सबसे अधिक बिकने वाला बॉलीवुड संगीत माना जाता है। नदीम-श्रवण की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा के गीतों को फिर से परिभाषित किया। नदीम ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, मुझे याद है कि आशिकी के पहले शो के सिर्फ तीन घंटे में हम कैसे सुपरस्टार बन गए थे। फिल्म समीक्षकों से लेकर फिल्म प्रोड्यूसर और रिकॉडिर्ंग कंपनियों के इवेंट मैनेजरों तक, सभी एकत्र हो गए थे। कोई आश्चर्य नहीं कि आशिकी की रिलीज के बाद, बिनाका गीतमाला (एक शीर्ष चार्टबस्टर रेडियो शो) के सभी शीर्ष दस गाने हमारी फिल्म से थे। मुझे लगता है, श्रवण ने हिंदी फिल्मों के लिए माधुर्य लाने में उत्कृष्ट भूमिका निभाई। यह वास्तव में फिल्म उद्योग में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि 1980 के दशक में देखा गया है कि कैसे गीतों की गुणवत्ता में गिरावट आई थी और बॉलीवुड संगीत नीचे चला गया था। सुपरहिट धुन बनाने की श्रवण की कला पर, नदीम ने विस्तार से बताते हुए कहा, मैंने उनके जैसा कोई हारमोनियम बजाने वाला कभी नहीं देखा। वह एक पूर्णतावादी थे। अक्सर हमने कुछ घंटों में ही सर्वश्रेष्ठ संगीत तैयार किया। श्रवण में शंकर (शंकर-जयकिशन फेम) या एस. डी. बर्मन जैसे संगीत के महारथियों का टच था। वास्तव में हम दोनों बर्मन दा और शंकर जयकिशन से प्रेरित थे। हमारे स्टूडियो में या मध्य मुंबई में मेरे घर पर, हम लंबे समय तक बैठते थे। समीर (गीतकार) हमेशा मौजूद रहते थे। यह हमारी मुख्य संगीत टीम थी। कभी-कभी दिवंगत गुलशन कुमार जी (टी-सीरीज के संस्थापक) हमारे साथ जुड़ते थे। मेरा मानना है कि ईश्वर की कृपा से हम एक के बाद एक महान गाने लेकर आए। नदीम ने कहा कि आशिकी की ऐतिहासिक सफलता के बाद, संजय दत्त और सलमान खान अभिनीत साजन (1991) ने भी सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। एक और बॉक्स ऑफिस पर हिट, दीवाना (1992) जिसने शाहरुख खान को पेश किया, वह अपने संगीत से मंत्रमुग्ध करने के कारण ही साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बन गई थी। सुपर हिट धुनों की अभूतपूर्व होड़ पर, नदीम ने बताया, हमारे पास प्रतिभा थी। लेकिन हमें सही अवसर नहीं मिल रहा था। संघर्ष के वर्षों के बाद जब हम टिप्स (संगीत उद्योग) के रमेश तौरानी के पास गए, तो उन्होंने आशिकी के सभी गीतों को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने यह कहते हुए कि अस्वीकार किया था कि बॉलीवुड फिल्म में शामिल होने के लिए काफी स्लो (धीमा) है। बाद में हम अपने गुरु, मिथुन चक्रवर्ती के माध्यम से गुलशन पापाजी के पास पहुंचे। मुझे याद है जब पापाजी मिथुन दा के घर पर हमारे गाने सुन रहे थे, तो मैंने उनसे कहा .. हम आपको ऐसे गाने दे रहे हैं, जो इतिहास रचेंगे, लेकिन हमारे गानों को बड़े पैमाने पर बाजार में लाने की जरूरत है। तुरंत पापाजी ने सहमति व्यक्त की और आश्वासन दिया कि संगीत एल्बम (आशिकी) बहुत उच्च स्तर पर लॉन्च की जाएगी। वह अपने वादे पर कायम रहे और बाकी तो अब इतिहास है। 1992 तक नदीम-श्रवण ने एक दर्जन से अधिक हिट संगीत में अपना अहम योगदान दिया और समय तक प्रोड्यूसर्स उनके घर पर कतार लगाने लगे थे। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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