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देश में ज्यादातर हिंदू, कितने फीसदी रखते नवरात्र का उपवास - मीट की दुकानें बंद पर बोलीं कांग्रेस नेता नगमा मोरारजी

नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में नवरात्र और रमजान का पवित्र त्यौहार जारी है, ऐसे में नवरात्र के दौरान मीट की दुकान बंद रखने पर हो रहे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस नेत्री नगमा मोरारजी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उनके मुताबिक, इनसब पर सियासत करना बेकार है, हमें महंगाई पर बात करनी चाहिए। भाजपा और आरएसएस के लोग ध्यान भटकाने की बात कर रहे हैं। नहीं चाहते कि किसी तरह से महंगाई पर बात हो। हर दिन एक नया मुद्दा निकालते हैं, कभी हिजाब को हटा दो, कभी कहते हैं मीट हटा दो। साथ ही उन्होंने इस मसले पर सवाल पूछा कि, हमारे देश में ज्यादातर हिंदू हैं। इनमें से कितने फीसदी हिंदू नवरात्र में उपवास रखते हैं? कितने हिंदू नवरात्रों में भी नॉनवेज खाते हैं, यदि खाते हैं तो आप एक जगह पर लागू करके क्या करना चाहते हैं ? हाल ही में कुछ जगहों पर नवरात्र के दौरान मीट के दुकानें बंद करने के आदेश आए, जिन्हें कई जगहों पर वापस भी ले लिया गया है। हालंकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम महापौर की तरफ से भी इसी तरह के आदेश दिए गए हैं, लेकिन दिल्ली में लिखित में ऑर्डर न आने के कारण मीट का व्यापार करने वाले लोगों ने अपनी दुकानें खुली रखी। इस मसले पर कांग्रेस नेता और फिल्म अदाकारा नगमा मोरारजी ने आईएएनएस से कहा कि, इस तरह के फैसले बकवास हैं क्योंकि हर धर्म का आदर सम्मान होना चाहिए। हमारे देश में ज्यादातर हिंदू हैं। इनमें से कितने फीसदी हिंदू नवरात्र में उपवास रखते हैं? कितने हिंदू नवरात्रों में भी नॉनवेज खाते हैं, यदि खाते हैं तो आप एक जगह पर लागू करके क्या करना चाहते हैं ? जो लोग खाते हैं उन्हें खाने दीजिए यह तालिबानी सोच और विचार आप इस देश में लाने की कोशिश कर रहे हैं, यह बिल्कुल ना मंजूर है और गलत है। हमारे घर में भी जिन्हें नॉन वेज खाना होता है वह खाते हैं, किसी घर में बनता है और किसी घर में नहीं बनता है। हर एक की थाली में क्या जाने वाला है क्यों जाने वाला है और किस लिए, वहीं क्या पहनने वाला है इन सब चीजों पर रोकथाम नहीं होनी चाहिए। भारत एक आजाद देश है इसमें जिसको जो खाना है वह खा सकता है। जब तक आप देश विरोधी कोई बात नहीं कर रहे हो या जनविरोधी बात नहीं कर रहे हो तब तक आप पर क्या पाबंदी है ? महंगाई आग लगा चुकी है, लोगों के पास काम नहीं है बेरोजगार हैं, हमें इन मुद्दों पर फिक्र करनी चाहिए। --आईएएनएस एमएसके/एएनएम

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