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महाराष्ट्र में शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांचने के लिए मोबाइल यूनिट लगेंगे

मुंबई, 17 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को कहा कि स्वास्थ्य विभाग एक अनूठी पहल के तहत राज्य में नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांच करने के लिए मोबाइल यूनिट का इस्तेमाल करेगा, ताकि उनका निदान और इलाज जल्दी शुरू हो सके। इसे पायलट परियोजना के रूप में गढ़चिरौली, जालना और पुणे में एक शुरू किया जाएगा। इस परियोजना की कल्पना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने की थी और इसे यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के विकलांगता अधिकार विकास मंच के अभिजीत राउत द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, 0-10 आयु वर्ग में कुल 55,569 श्रवण बाधित बच्चे थे, जो अब लगभग 92,000 होने का अनुमान है, जिसमें 51 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में और 49 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में हैं। एक विस्तृत प्रस्तुति में अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 16 स्थानों पर राष्ट्रीय बधिरता निवारण कार्यक्रम लागू किया जा रहा है और अब पूरे महाराष्ट्र को कवर करने के लिए इसके दायरे का और विस्तार किया जाएगा। टोपे ने श्रवण अक्षमता का पता लगाने और निदान करने के लिए नवजात शिशुओं और शिशुओं के बीच ओटोअकॉस्टिक्स एमिशन (ओएई) परीक्षणों के कार्यान्वयन पर भी जोर दिया और फिर उपचार शुरू किया, जो बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, यदि यह ओएई परीक्षण प्रारंभिक चरण में किया जाता है तो बहरेपन को रोका जा सकता है। इसलिए, इस कार्यक्रम को शीघ्र निदान और उपचार के लिए नियोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोबाइल इकाइयां नवजात शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांच के लिए विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की यात्रा करेंगी, जबकि बच्चे के टीकाकरण सत्र के दौरान श्रवण परीक्षण भी किया जा सकता है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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