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​सैन्य खर्चः अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर ​भारत

-चीन से टकराव में भारत को हथियारों की खरीद में सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ा -भारत के मुकाबले अमेरिका का सैन्य खर्च 10 गुना और चीन का रक्षा बजट चार गुना अधिक सुनीत निगम नई दिल्ली, 27 अप्रैल (हि.स.)। भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है। भारत के मुकाबले अमेरिका का सैन्य खर्च 10 गुना से अधिक है। चीन का रक्षा बजट भारत से लगभग चार गुना अधिक है। 2020 में पूरी दुनिया का सैन्य खर्च लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ा है। 2016-2020 के दौरान कुल वैश्विक हथियार आयात का 9.5% हिस्सा भारत के नाम है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सैन्य टकराव की वजह से भारत को विदेशों से कई आपातकालीन हथियारों की खरीददारी करने में अपने सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) ने वैश्विक स्तर पर जारी ताजा आंकड़ों में बताया है कि 2020 में वैश्विक सैन्य खर्च बढ़कर 1,981 अरब डॉलर हो गया है जो 2019 की तुलना में 2.6% ज्यादा है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अक्टूबर, 2020 में जारी आंकड़े बताते हैं कि कोविड महामारी के आर्थिक प्रभाव के कारण वैश्विक घरेलू सकल उत्पाद में 4.4% तक कमी हुई है। परिणामस्वरूप 2020 में जीडीपी की हिस्सेदारी के रूप में सैन्य बोझ का वैश्विक औसत 2.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2009 में आई ग्लोबल मंदी के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा सैन्य बोझ है। सीपरी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 2020 में वैश्विक सैन्य खर्च पर कोविड का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। अब कोविड की दूसरी लहर के बाद देखा जाना बाकी है कि चारों देश 2020 के मुकाबले सैन्य खर्च का स्तर बरकरार रख पाए या नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य खर्च के मामले में टॉप 10 देशों में अमेरिका 778 बिलियन डॉलर के साथ पहले नंबर पर है। इसके बाद चीन का सैन्य खर्च 252 बिलियन डॉलर है। भारत 72.9 बिलियन डॉलर के साथ तीसरे नंबर पर है। भारत के वार्षिक सैन्य व्यय में पेंशन बिल भी शामिल है। भारत का 2021-2022 के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट है जिसमें 1.15 लाख करोड़ रुपये पेंशन बिल भी शामिल है। दुनिया भर को हथियार बेचने के बावजूद रूस खुद अपने ऊपर 61.7 बिलियन डॉलर का सैन्य खर्च करके चौथे नंबर पर है।ब्रिटेन (59.2 बिलियन डॉलर) पांचवें, सऊदी अरब (57.5 बिलियन डॉलर) छठे, जर्मनी (52.8 बिलियन डॉलर) सातवें, फ्रांस (52.7 बिलियन डॉलर) आठवें, जापान (49.1 बिलियन डॉलर) नवें और दक्षिण कोरिया (45.7 बिलियन डॉलर) के साथ 10वेें नंबर पर है। भारत के रक्षा बजट के बारे में सीपरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर सक्रियता बनाये रखने के साथ ही भारत को अपने सैन्य खर्च में 15 लाख से अधिक मजबूत सशस्त्र बलों को बनाए रखना है। नतीजतन रक्षा बजट में सैन्य आधुनिकीकरण के लिए पूंजीगत परिव्यय को बढ़ाया गया है जिससे विभिन्न मोर्चों पर महत्वपूर्ण परिचालन संबंधी लड़ाकू विमानों से लेकर पनडुब्बियों तक की कमी को पूरा किया जा सके। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सैन्य टकराव की वजह से भारत को विदेशों से कई आपातकालीन हथियारों की खरीददारी करने में अपने सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ा है। रिपोर्ट में भारत के रक्षा खर्च को पाकिस्तान और चीन के साथ नए सिरे से सीमा तनाव के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। भारत ने 2016-2020 के दौरान कुल वैश्विक हथियार आयात का 9.5% हिस्सा अपने नाम किया है। सीपरी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में दुनिया के पांच सबसे बड़े देशों अमेरिका, चीन, भारत, रूस और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से वैश्विक सैन्य व्यय का 62 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है। चीन ने लगातार 26वें वर्ष अपना सैन्य खर्च बढ़ाकर 252 बिलियन डॉलर किया है। चीन ने 2011-2020 के दशक में सबसे ज्यादा 76 प्रतिशत तक सैन्य खर्चों में वृद्धि की है। यह 2019 के मुकाबले 1.9 प्रतिशत ज्यादा है। सीपरी के सीनियर रिसर्चर डॉ. नान तियान का कहना है कि अपने सैन्य खर्च को बढ़ाने के बावजूद 2020 में चीन ने दुनिया भर में सबसे ज्यादा कर्ज बांटा है। इसमें चीन का सदाबहार दोस्त पाकिस्तान भी शामिल है जो 10.3 बिलियन डॉलर सैन्य खर्च करके 23वें स्थान पर है। चीन का रक्षा बजट दीर्घकालिक सैन्य आधुनिकीकरण और विस्तार योजनाओं के कारण बढ़ा रहा है, जो अन्य प्रमुख सैन्य शक्तियों का मुकाबला करने की इच्छा के अनुरूप है। हिन्दुस्थान समाचार

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