मेघालय में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन चिंताजनकः गजेन्द्र सिंह
नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मेघालय के मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में राज्य में जल जीवन मिशन (जेजेएम) की धीमी प्रगति पर चिंता जाहिर की है। राज्य की योजना दिसम्बर, 2022 तक सभी ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने की है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने मेघालय के मुख्यमंत्री को राज्य को दिसम्बर, 2022 तक सौ फीसदी एफएचटीसी राज्य बनाने में अपन पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री के साथ शीघ्र ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जल जीवन मिशन के नियोजन और कार्यान्वयन को लेकर बीतचीत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन के दौरान की गई घोषणा के अनुरूप सभी राज्यों को अपने जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लागू करने की बात कही थी। इसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण घरों में 2024 तक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) के जरिए पेयजल उपलब्ध कराना है। यह मिशन ग्रामीण महिलाओं खासकर लड़कियों को पेयजल जुटाने के कठिन कार्य से मुक्ति दिलाते हुए उन्हें सुरक्षा और सम्मान प्रदान करने का एक साधन है। जल शक्ति मंत्री शेखावत ने मेघालय के शेष घरों में नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों में कुछ नया बदलाव करने पर ध्यान देने के साथ समय-सीमा के भीतर जेजेएम के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उचित नियोजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि वे राज्य के उन 3,891 गांवों में 'अभियान मोड' में तुरंत काम में तेजी लाएं, जहां मौजूदा जल आपूर्ति योजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आने वाले गांवों में नल कनेक्शन देने के काम को प्राथमिकता दी जानी है। शेखावत ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत राज्यों को उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए घरेलू नल कनेक्शन और उपलब्ध धन के इस्तेमाल के आधार पर भारत सरकार द्वारा धन उपलब्ध कराया जाता है। वर्ष 2019-20 में 1.17 लाख घरों में नल कनेक्शन देने का लक्ष्य था जबकि अभी तक केवल 1,800 नल कनेक्शन दिए गए हैं। यही नहीं, मेघालय को 2019-20 में 86.02 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे, लेकिन कार्यों की धीमी प्रगति के कारण केवल 43.01 करोड़ जारी किए गए जिसमें से राज्य केवल 26.35 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका। इससे राज्य के पास 17.46करोड़ की राशि शेष रह गई है। मेघालय के मुख्यमंत्री को सूचित करते हुए जेजेएम के तहत राज्य के लिए वर्ष 2020-21 में आवंटन174.92 करोड़ तक बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही 17.46 करोड़ रुपये की शेष राशि और इस वर्ष के 174.92 करोड़ के आवंटन के साथ मेघालय के पास 192.38 करोड़ रुपये के केंद्रीय फंड की उपलब्धता है। इसमें खर्च किए जाने वाले राज्य के हिस्से को मिला दिया जाए तो मेघालय के पास वर्ष 2020-21 के दौरान जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन के लिए कुल 216 करोड़ रुपये हैं। शेखावत ने जोर देते हुए कहा कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना राष्ट्रीय प्राथमिकता है और राज्य को समयबद्ध तरीके से इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। मंत्री ने पेयजल आपूर्ति प्रणालियों की दीर्घकालिक उपलब्धता के लिए मौजूदा पेयजल स्रोतों को और मजबूत करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नियोजन ग्राम स्तर पर होनी चाहिए और हर गांव के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को मनरेगा, एसबीएम, पीआरआई को 15वें वित्त आयोग अनुदान, सीएएमपीए फंडों, जिला खनिज विकास फंड, स्थानीय क्षेत्र विकास फंड इत्यादि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर तैयार किया जाना चाहिए। शेखावत ने आगे जोर देते हुए कहा कि पेयजल सुरक्षा प्राप्त करने के लिए पानी की दीर्घकालिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में स्थानीय ग्राम पंचायतों और या उपयोगकर्ता समूहों को शामिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन को सही मायने में जन आंदोलन बनाने के लिए सभी गांवों में सामुदायिक सहयोग के साथ-साथ आईईसी अभियान की आवश्यकता है। वर्ष 2020-21 में मेघालय को पीआरआई के लिए 15वें वित्त आयोग अनुदान के रूप में 182 करोड़ आवंटित किए गए हैं और इस राशि का 50% अनिवार्य रूप से जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाना है। स्वच्छ भारत मिशन (जी)के तहत उपलब्ध धन का उपयोग अशुद्ध जल को शुद्ध करने (ग्रे वाटर ट्रीटमेंट) और रियूज कार्यों के लिए किया जाना है। हिन्दुस्थान समाचार/ रवीन्द्र मिश्र/बच्चन-hindusthansamachar.in