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आदिवासी बच्चों के मेंटर बनेंगे मेडिकल छात्र

भोपाल, 20 मार्च (आईएएनएस)। बेहतर मार्गदर्शन के अभाव में प्रतिभाएं सफलता से वंचित रह जाती हैं, अब ऐसा आदिवासी बच्चों के साथ न हो इसके लिए मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग में नवाचार किया जा रहा है। यहां के बच्चों को मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र मार्गदर्शक यानी मेंटर की भूमिका निभाने वाले हैं। राज्य का बड़ा हिस्सा ऐसा है जहां बच्चों को अपने घर में रहकर बेहतर मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में बच्चे दूसरे स्थानों को पलायन करते हैं, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। बच्चे घर में रहे और उन्हें बेहतर मार्गदर्शन मिले, इसके प्रयास शहडोल संभाग में संभाग आयुक्त राजीव शर्मा ने शुरू किए हैं। यहां पहला कदम चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश की नीट परीक्षा की तैयारी को लेकर आयोजित किया जाने वाला है। इसके लिए शहडोल के चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र विज्ञान के 12वीं कक्षा के छात्रों को मार्गदर्शन देने वाले हैं, यह सफल छात्र नीट की तैयारी करने वाले बच्चों को बताएंगे कि वे कैसे पढ़ाई करें और कैसे सफलता अर्जित करें। संभागायुक्त शर्मा ने आईएएनएस को बताया है कि उन्होंने हायर सेकेंडरी 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर मार्गदर्शन मिले, इसके लिए एक योजना तैयार की है। इसके तहत उन्होंने पहले मेडिकल कॉलेज के डीन और प्राध्यापकों से चर्चा की, उसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग से संवाद किया। चिकित्सा महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र स्कूली बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हैं। शर्मा कहते हैं कि मध्यप्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है मगर मार्गदर्शन के अभाव में वे रास्ते से भटक जाते हैं और उस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते जिसके वे हकदार होते हैं। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने नीट की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को बेहतर मार्गदर्शन मुहैया कराने की योजना बनाई है, आने वाले समय में आठवीं और दसवीं में पढ़ने वाले बच्चों को भी मार्गदर्शन समय पर मिले इसके प्रयास किए जाएंगे। बच्चों को मार्गदर्शन देने की योजना का ब्यौरा देते हुए शर्मा ने बताया कि 23 मार्च को शहडोल के सभागार में 12वीं के विज्ञान विषय के छात्रों और चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों के बीच संवाद होगा, उसके बाद यह चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र विभिन्न स्कूलों में जाकर मार्गदर्शन देंगे। इससे क्षमतावान बच्चों में लक्ष्य को भेदने के गुर हासिल होंगे। प्रशासनिक स्तर पर इसे शुरूआत माना जा रहा है। आगामी समय में आठवीं और 10वीं के बच्चों को भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा, ताकि जिन बच्चों में बड़ा लक्ष्य हासिल करने की ललक है और क्षमतावान है, वे अभी से अपने लक्ष्य को प्रति और ²ढ़ हो जाएं। --आईएएनएस एसएनपी/आरजेएस

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