मायावती ने कहा- अशोक गहलोत को सबक सिखाने का वक्त आ गया, हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे
मायावती ने कहा- अशोक गहलोत को सबक सिखाने का वक्त आ गया, हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे

मायावती ने कहा- अशोक गहलोत को सबक सिखाने का वक्त आ गया, हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष मायावती ने राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस और अशोक गहलोत के खिलाफ कोर्ट जाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि बीएसपी के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराना असंवैधानिक था। हम मामले को ऐसे ही नहीं जाने देंगे। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। मायावती ने कहा कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के 6 विधायक चुने गए थे। उस समय हमने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया था। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा ने हमारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया। मौजूदा स्थिति में हमने अपने विधायकों से कहा है कि वे राजस्थान विधानसभा में किसी भी तरह की वोटिंग के दौरान कांग्रेस के खिलाफ वोट करें। ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी सदस्यता सस्पेंड कर दी जाएगी। प्रियंका गांधी ने बिना नाम लिए मायावती पर निशाना साधा भाजपा के अघोषित प्रवक्ताओं ने भाजपा को मदद की व्हिप जारी की है। लेकिन ये केवल व्हिप नहीं है बल्कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वालों को क्लीन चिट है। — Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 28, 2020 ये 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे बीएसपी से चुनाव जीते राजेन्द्र गुढ़ा (उदयपुरवाटी, झुंझुनूं), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई, भरतपुर), वाजिब अली (नगर, भरतपुर), लाखन सिंह मीणा (करौली), संदीप यादव (तिजारा, अलवर) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़बास, अलवर) ने सितंबर 2019 में पार्टी छोड़ दी थी। राजस्थान की राजनीति में बीएसपी का अब तक का सफर और विवाद 1998 : राजस्थान में बीएसपी का खाता पहली बार खुला। कांग्रेस को 150, भाजपा को 33 सीटें मिलीं। बीएसपी के 2 विधायकों की जरूरत किसी को नहीं पड़ी। 2003 : भाजपा 120 सीटें जीत कर बहुमत में आई। कांग्रेस को 56 सीटें मिलीं। बीएसपी फिर 2 सीटें लेकर आई। लेकिन, दोनों ही पार्टियों को उस समय बीएसपी विधायकों की जरूरत नहीं थी। 2008 : बीएसपी किंग मेकर बनकर उभरी। 6 उम्मीदवार विधायक बने। कांग्रेस को 96 और भाजपा को 78 सीटें मिली। अशोक गहलोत ने बीएसपी विधायकों का कांग्रेस में विलय करवा लिया। 2013 : भाजपा को 163 सीटों के साथ भारी बहुमत मिला। कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट कर रह गई। बीएसपी के 3 विधायक जीते। लेकिन, सत्ता पक्ष को इनकी जरूरत नहीं थी। विपक्ष को मजबूत करने में जरूर इनकी भूमिका रही। क्योंकि कांग्रेस को बहुत कम सीटें मिल पाई थीं। 2018 : बीएसपी को 6 सीटें मिलीं। कांग्रेस को 100 और भाजपा को 73 सीटें मिलीं। उपचुनाव में एक सीट भाजपा से छीनकर कांग्रेस 101 पर आ गई। बहुमत को और मजबूत करने के लिए गहलोत ने एक बार फिर 2008 को दोहराया और 16 सितंबर, 2019 को बीएसपी के 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय करवा लिया।-newsindialive.in

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