manuscripts-will-be-preserved-by-searching-pn-jha
manuscripts-will-be-preserved-by-searching-pn-jha

पांडुलिपियों को खोजकर संरक्षित किया जाएगा: पीएन झा

-नक्षत्र वेधशाला का राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की टीम ने किया भ्रमण -सतेरा खाल में मिली दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण करेगा मिशन नई टिहरी, 14 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड की विलुप्त पांडुलिपियों की खोज कर उन्हें संरक्षित किया जाएगा। यह कहना है कि उत्तराखंड के दौरे पर पहुंचे राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन निदेशक डॉ. पीएन झा का। देवप्रयाग स्थित नक्षत्र वेधशाला देवप्रयाग में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के पांडुलिपि संरक्षण केंद्र में निदेशक झा ने टीम के साथ भ्रमण कर यहां के कामकाज को भी देखा। उन्होंने कहा कि देवप्रयाग के बाद रुद्रप्रयाग के सतेरा खाल में मिली दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन उत्तराखंड में नष्ट हो रही पांडुलिपियों की खोज कर उन्हें संरक्षित करेगा। इसमें नक्षत्र वेधशाला संस्थान, देवप्रयाग व पुराना दरबार टिहरी सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि प्राचीन पांडुलिपियों की उपयोगिता पर सेमिनार भी आयोजित होगा। भारत में करीब एक करोड़ पांडुलिपियां हैं। इनमें से 43.90 लाख को सूचीबद्ध किया जा चुका है। तीन लाख पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन के साथ ही 8 करोड़ 27 लाख पृष्ठों को संरक्षित किया जा चुका है। करीब 70 प्रतिशत पांडुलिपियों की लिपि संस्कृत है। देश की 20 संस्थाओ की पांडुलिपियों को ऑनलाइन किया गया है। देश में 148 केंद्र पांडुलिपि संरक्षण के काम से जुड़े हैं। टीम में शामिल डॉ. सरवरूल हक ने वेधशाला में संजोयी उर्दू पांडुलिपियों को पढ़ा। डॉ. कृति श्रीवास्तव ने पांडुलिपि संरक्षण की नई तकनीक व विश्वरन्जन मलिक ने उनके डिजिटाइजेशन के महत्व को बताया। आचार्य भास्कर जोशी ने टीम का स्वागत कर उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किए। हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल/मुकुंद-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in