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(ममता के सिपहसालार-1) दमदार रहा है सीएम के करीबी नौकरशाह गौतम सान्याल का रुतबा

20/04/2021 कोलकाता, 30 अप्रैल (हि.स.)। किसी भी सरकार की सफलता या विफलता गुड गवर्नेंस और प्रशासन के बर्ताव पर निर्भर करता है। 33 सालों के वाममोर्चा के शासन को उखाड़ फेंकने के बाद जब ममता बनर्जी सत्ता में आई थीं तो उम्मीद की गई थी कि न केवल राज्य के हालात बदलेंगे बल्कि प्रशासनिक स्तर पर सुधार भी देखने को मिलेंगे। 2011 में सत्ता पर आरूढ़ होने के बाद ममता ने इसकी कोशिश भी शुरू की थी। शुरुआत में उनके जो विश्वस्त नौकरशाह थे। उनमें से कुछ लोगों के साथ उनके पारिवारिक संबंध आज भी चल रहे हैं जबकि कई लोगों के साथ उनके संबंध तीखे हो चुके हैं। जिन अधिकारियों पर ममता खासी मेहरबान रहीं उनमें से एक नौकरशाह हैं गौतम सान्याल जो पिछले 22 सालों से ममता बनर्जी के विश्वस्त हैं। उनके रुतबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ममता के मुख्यमंत्री बनने से लेकर आज तक सीएम ने उन पर ऐसी ममता बरसाई है कि सान्याल के इशारे पर ही लगभग पूरी सरकार चलती है। दरअसल विभिन्न प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने और निगरानी आदि के लिए प्रत्येक राज्य में आईएएस अधिकारियों की संख्या निर्दिष्ट की जाती है। पश्चिम बंगाल के लिये कुल आईएएस अधिकारियों की संख्या 379 हैं। हालांकि राज्य में फिलहाल 307 अधिकारी कार्यरत हैं। आईएएस अधिकारियों को लेकर केंद्र सरकार के साथ ममता सरकार का कोल्ड वार शुरुआत से ही चलता रहा है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की संख्या कम होने की वजह से केंद्र सरकार अगर चाहती भी है तो बंगाल से नौकरशाहों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति नहीं हो पाती। नियमानुसार किसी भी आईपीएस व आईपीएस की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति केंद्र सरकार ले सकती है। हालांकि राज्य सरकार से सलाह के बाद ही ऐसा निर्णय लिया जाता है। अगर राज्य सरकार नहीं चाहती है तो अधिकारियों को डेपुटेशन पर नहीं भेजा जाता। -1999 से ममता के पसंदीदा अधिकारी हैं गौतम - 2011 में मुख्यमंत्री बनने से पहले ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं। 1999 में रेल मंत्री रहते हुए उनके प्रिय अधिकारियों में गौतम सान्याल शामिल हो गए थे। आज भी उनके साथ ममता बनर्जी के सुसंपर्क हैं। सोशल साइंस से स्नातकोत्तर और यूके से एमबीए की डिग्री प्राप्त कर चुके गौतम का जन्म 1959 में हुआ था। वर्ष 2009 से 2011 तक रेल मंत्रालय में ओएसडी थे। सेंट्रल सेक्रेटेरिएट सर्विस के ये अधिकारी सेवानिवृत्त होने के बाद 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने पर उनके सचिव के तौर पर नियुक्त किए गए। हालांकि ममता ने उन्हें राज्य का प्रधान सचिव और मुख्य सचिव के समतुल्य पद देने की कोशिश की थी लेकिन राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव समर घोष और आईएएस एसोसिएशन ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी जिसे मानने के लिए मुख्यमंत्री मजबूर हो गई थीं। बाद में उन्हें सीएम के सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया। 2015 के 27 जून को राज्य सचिवालय में प्रशासनिक बैठक हुई और गौतम सान्याल को मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बना दिया गया। आईएएस एसोसिएशन की आपत्ति पर विराम लगाने के लिए यह निर्णय लिया गया कि उनकी पदोन्नति तो होगी लेकिन वेतन और अन्य सुविधाएं पहले की तरह ही रहेंगी। हालांकि नियमों को दरकिनार कर उन्हें जिस तरह से पदोन्नति दी गई उस पर सवाल खड़े हो रहे थे। पदोन्नति के प्रस्ताव से लेकर आदेश जारी करने में महज तीन घंटे का वक्त लगा था। चूंकि मुख्यमंत्री का आदेश था इसलिए सारे नियमों को दरकिनार कर तीन घंटे में नियुक्ति पत्र दिया गया था। सूत्रों ने बताया है कि गौतम सान्याल की तूती पूरे सचिवालय में ही नहीं बल्कि राज्य के कोने-कोने में बोलती थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2018 में इंडिया टुडे ने 'टॉप टेन हिडेन कॉरिडोर पावर इन इंडिया' की सूची में गौतम सान्याल को शामिल किया था। वह आज भी ममता के सबसे करीबी नौकरशाह माने जाते हैं जिनपर मुख्यमंत्री आंख बंद कर भरोसा करती हैं। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश/मधुप

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