देखो अपना देश श्रृंखला के तहत महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर के दर्शन
देखो अपना देश श्रृंखला के तहत महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर के दर्शन

देखो अपना देश श्रृंखला के तहत महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर के दर्शन

पर्यटन मंत्रालय ने 42वें वेबिनार का किया आयोजन नई दिल्ली, 20 जुलाई(हि.स.)। पर्यटन मंत्रालय के देखो अपना देश श्रृंखला के तहत ‘आध्यात्मिक त्रिकोण – महेश्वर,मांडु और ओंकारेश्वर के दर्शन कराए गए। 42वें वेबिनार में इंदौर की आयकर आयुक्त आशिमा गुप्ता और सिंगापुर की मार्केटिंग पेशेवर सरिता अलुरकर ने इन सभी स्थानों से लोगों का परिचय करवाया। पहला पड़ाव महेश्वर ... इस आध्यात्मिक त्रिकोण का पहला पड़ाव महेश्वर या महिष्मती है जो ऐतिहासिक महत्व के साथ मध्य प्रदेश के शांत और मनोरम स्थलों में से एक है और यह इंदौर शहर से 90 किलोमीटर दूर है। शहर का नाम भगवान शिव महेश्वर के नाम पर पड़ा है जिसका उल्लेख महाकाव्य रामायण और महाभारत में भी मिलता है। यह शहर नर्मदा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। मराठा होलकर शासनकाल के दौरान6 जनवरी,1818 तक यह मालवा की राजधानी थी। इसके बाद मल्हार राव होल्कर तृतीय द्वारा राजधानी को इंदौर स्थानांतरित कर दिया गया था। अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में,महान मराठा रानी राजमाता अहिल्या देवी होल्कर ने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने कई इमारतों और सार्वजनिक स्थलों का निर्माण कराकर शहर को सजाया और यहां उनके महल के साथ ही कई मंदिर,एक किले और नदी के कई घाट स्थित हैं। वहां का अहिल्येश्वर मंदिरजहां अहिल्या देवी पूजा-पाठ करती थीं और अहिलेश्वर मंदिर के पास स्थित विठ्ठल मंदिर ऐसी जगह है जहां आप पूजा-पाठ के लि ए और उनकी वास्तुकला की प्रशंसा करने के लिए जरूर ठहर जाएंगे। राजमाता द्वारा निर्मित यहां लगभग 91 मंदिर हैं। महेश्वर में घाट सूर्योदय और सूर्यास्त की सुंदरता को देखने के लिए सबसे अच्छे स्थान हैं और किले का परिसर भी अहिल्या घाट से देखा जा सकता है। पर्यटक यहां नौकायान का भी मज़ा ले सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद नाविक नर्मदा नदी की स्तुति में छोटे-छोटे दीए जलाते हैं। भगवान शिव को समर्पित बाणेश्वर मंदिर महेश्वर के खास मंदिरों में से एक है जिसका शाम को सूर्यास्त के बाद दर्शन किया जा सकता है। नर्मदा घाट पर सूर्यास्त के बाद नर्मदा की आरती की जाती है। ओंकारेश्वर में 33 देवता .... दिव्य रूप में 108प्रभावशाली शिवलिंग है और यह नर्मदा के उत्तरी तट पर स्थित एकमात्र ज्योतिर्लिंग है। ओंकारेश्वर इंदौर से 78 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश का एक आध्यात्मिक शहर है। ममलेश्वर मंदिर के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा अधूरी है। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव प्रतिदिन विश्राम करने के लिए यहां आते हैं और हर रोज शाम को साढ़े आठ बजे शयन आरती नामक एक विशेष आरती की जाती है और भगवान शिव तथा देवी पार्वती के लिए पासा के खेल की व्यवस्था भी की जाती है। यहां सिद्धनाथ मंदिर सबसे सुंदर मंदिर है। इस दिव्य मंदिर का दर्शन करने के लिए निश्चित रूप से मौका निकालना चाहिए। मांडू.... इंदौर से लगभग 98 किलोमीटर दूर और633 मीटर की ऊंचाई पर है।मांडू के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रतलाम (124 किमी।) है। मांडू का किला 47 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है और चारों तरफ से किले की दीवार की लंबाई64 किलोमीटर है। मांडू मुख्य रूप से सुल्तान बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के लिए जाना जाता है। एक बार जंगल में शिकार करने के बाद लौटने के दौरान सुल्तानबाज बहादुर ने अपने दोस्तों के साथ एक चरवाहे की लड़की रूपमती को गाने गाते देखा। उसकी मोहक सुंदरता और सुरीली आवाज से वे काफी प्रभावित हुए और तब उन्होंने रूपमती को अपनी राजधानी में उनके साथ चलने के लिएआग्रह किया। रूपमतीइस शर्त पर मांडू जाने के लिए तैयार हुई कि उसे महल में ऐसी जगह रहने को दी जाए जहां से वो हर रोज अपनी प्रिय और मन्नतें पूरी करने वाली नदीनर्मदा के दर्शन कर सके। इसलिए मांडू में रीवाकुंड बनाया गया। रानी रूपमती की सुंदरता और मधुर आवाज के बारे में जानने के बादमुगलों ने मांडु पर आक्रमण करके बाज़ बहादुर और रूपमती दोनों पर कब्जा करने का फैसला किया। मुगलों के सामने मांडु आसानी से हार गया और जब विजयी मुगल सेना ने किले की ओर कूच किया तो उनकी गिरफ्त में आने से बचने के लिए रूपमती ने ज़हर खाकर अपनी जा दे दी। हिन्दुस्थान समाचार, विजयलक्ष्मी-hindusthansamachar.in

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