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जैसे मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना, वैसे ही हिंदुओं के लिए अयोध्या, काशी, मथुरा : उमा भारती (आईएएनएस साक्षात्कार)

भोपाल, 23 मई (आईएएनएस)। काशी और मथुरा के लिए कोई लड़ाई नहीं है, क्योंकि लड़ाई तब होती है, जब दो पक्षों के बीच बराबर हिस्सेदारी हो। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कही। उन्होंने कहा कि ये स्थान (अयोध्या, मथुरा और काशी) मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना और ईसाइयों के लिए वेटिकन सिटी जैसे लाखों हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं। भारती, जो अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में 1990 के राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व करने वाले भाजपा नेताओं में से थीं और यह दावा करने में कभी नहीं हिचकिचाती थीं कि वह बाबरी मस्जिद के विध्वंस को अंजाम देने वालों में से एक थीं। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और कुछ ऐसे ही मुद्दों पर विवाद मध्य प्रदेश में भी भड़क गया है। चल रहे मुद्दों पर उन्होंने आईएएनएस से कहा कि 1990 के दशक में अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले की तरह काशी की ज्ञानवापी से भी उनका सीधा जुड़ाव है। उन्होंने कहा, मैंने 1991 में संसद में काशी और मथुरा के मुद्दे को अनसुलझा नहीं छोड़ने का जिक्र किया था। यह सब रिकॉर्ड में है, इसलिए सौभाग्य से मैं ज्ञानवापी मुद्दे से भी जुड़ी हूं। भारती ने जोर देकर कहा कि हिंदुओं से हमेशा उदारवाद की उम्मीद की गई है, इस तथ्य के बावजूद कि उनके (हिंदू) पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया था। मैं स्वीकार करती हूं कि सद्भावना समाज की जरूरत है, लेकिन यह तभी संभव होगा, जब दोनों पक्षों के विचार समान होंगे। एक तरफ हिंदुओं के पूजा स्थल नष्ट हो जाते हैं और दूसरी तरफ आप हिंदुओं से उदारवाद की उम्मीद करते हैं। कैसे यह संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या, मथुरा और काशी मुसलमानों के लिए कभी भी मक्का-मदीना जैसे महत्वपूर्ण प्रार्थना स्थल नहीं रहे हैं, वे उनके लिए सामान्य स्थान थे। लेकिन हिंदुओं के लिए ये स्थान हमेशा उनकी आस्था का केंद्र बिंदु रहे हैं। उन्होंने कहा, इन जगहों पर उनका (मुस्लिम) दावा करना गलत है। समाज में दुश्मनी पैदा करने के लिए हिंदू समुदाय को दोष देना एक सुनियोजित प्रक्रिया है। समाज में सद्भावना बनाए रखने के लिए इन मुद्दों को हल किया जाना चाहिए। यह जिक्र किए जाने पर कि मध्य प्रदेश में कुछ हिंदू संघों द्वारा भोपाल की जामा मस्जिद पर सवाल उठाया जा रहा है और धारा की भोजशाला के सर्वेक्षण की मांग के बाद इसी तरह का विवाद खड़ा हो गया है, भारती ने कहा, धारा की भोजशाला में कोई विवाद नहीं है। इसके दो हिस्से हैं। एक तरफ हिंदू और दूसार तरफ मुसलमान प्रार्थना करते हैं। प्रत्येक मंगलवार को परिसर में हिंदू पूजा करते हैं, जबकि मुसलमान शुक्रवार को इसी परिसर में नमाज अदा करते हैं। व्यवस्था का टकराव तभी होता है, जब वाग्देवी (सरस्वती) की पूजा और नमाज का समय एक साथ आता है। उन्होंने कहा कि देवी सरस्वती की मूर्ति को लंदन के संग्रहालय से लाया जाएगा और भोजशाला परिसर में फिर से स्थापित किया जाएगा। उमा ने कहा, ईदगाह परिसर से बाहर है और हिंदू भोजशाला परिसर के अंदर, जहां देवी सरस्वती की पूजा होती है। अगर वे (मुसलमान) इस पर किसी तरह का दावा करते हैं, तो वे गलत हैं। उमा भारती ने भोपाल की जामा मस्जिद के मुद्दे पर बोलते हुए संस्कृति बचाओ मंच (एक हिंदू विंग) के दावे को सही ठहराया कि चौक बाजार की जामा मस्जिद (भोपाल) 19वीं शताब्दी में एक शिव मंदिर पर बनाई गई थी। उन्होंने कहा, मैं किसी व्यक्ति के दावे या किसी सर्वेक्षण पर टिप्पणी नहीं कर रही हूं, लेकिन यह एक तथ्य है कि नंदी बाबा केवल वहां (मस्जिद की तरफ) देख रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि यह बताना चाहिए कि प्रत्येक शिव मंदिर के द्वार पर नंदी की मूर्ति क्यों मौजूद रहती है। मेरा मानना है कि आज का मुस्लिम युवा शिक्षित है और वे समझते हैं कि समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की जरूरत है। आज के शिक्षित मुस्लिम युवा भी समझते हैं कि धार्मिक आस्था बहुत व्यक्तिगत है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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