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कश्मीरी पंडित डायसपोरा ने RSS के गुमनाम मदद का किया उल्लेख, कहा- संघ की सहायता से जिंदा हैं कई कश्मीरी हिंदू
बशीर भद्र का एक शेर है लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में... 30 बरस पहले बस्तियां ही नहीं दिल भी जला था। 19 जनवरी 1990 की वो कहानी जिसका गुस्सा आज भी लाखों कश्मीरी पंडितों के भीतर उबल रहा है। तीन क्लिक »-www.prabhasakshi.com