जेआईबीएस ने बच्चों, बुजुर्गों के लिए भारत में ब्रेन अवेयरनेस वीक का आयोजन किया

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नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के वैल्यू-बेस्ड शोध संस्थान जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) ने 14-20 मार्च तक भारत में ब्रेन अवेयरनेस वीक का आयोजन किया। इस वर्ष जेआईबीएस ने विशेष रूप से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों और बुजुर्ग आबादी के बीच मस्तिष्क संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। मस्तिष्क जागरूकता सप्ताह एक विश्वव्यापी अभियान है जिसका उद्देश्य मस्तिष्क विज्ञान के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है। हर मार्च, साझेदार अपने समुदायों में मस्तिष्क के मुद्दों और हमारे दैनिक जीवन में मस्तिष्क विज्ञान के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं। पिछले साल, जेआईबीएस को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल ब्रेन रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (आईबीआरओ) द्वारा ग्लोबल एंगेजमेंट सीड ग्रांट और डीएएनए फाउंडेशन और आईबीआरओ दोनों द्वारा प्रायोजित ब्रेन अवेयरनेस ग्रांट से सम्मानित किया गया था। अनुदान सामुदायिक आउटरीच पहल के लिए मौद्रिक सहायता प्रदान करते हैं जो मस्तिष्क के कामकाज के बारे में साक्ष्य-समर्थित जानकारी फैलाने में मदद करते हैं, साथ ही कई मस्तिष्क से संबंधित मिथकों को तोड़ते हैं। इस साल जेआईबीएस विशेष जरूरतों वाले बच्चों और बुजुर्ग आबादी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कार्यक्रम के आधिकारिक शुभारंभ के दौरान ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राज कुमार ने अनुदान हासिल करने के लिए जेआईबीएस को बधाई दी और तंत्रिका विज्ञान और संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए इसका उपयोग करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, मैं इस तथ्य पर वास्तव में प्रसन्न हूं कि जेआईबीएस मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में पथ-प्रदर्शक कार्य कर रहा है। जेआईबीएस को दिया गया अनुदान वास्तव में न्यूरोसाइकोलॉजी के क्षेत्र में विकास को गति देने में उपयोगी होगा। मुझे उम्मीद है कि जेआईबीएस इस काम को जारी रखेगा और व्यवहार विज्ञान में अंत:विषय अनुसंधान के क्षितिज का विस्तार करने के लिए इस क्षेत्र में पहले से मौजूद मेडिकल स्कूलों के साथ सहयोग करेगा। प्रो. (डॉ.) संजीव पी. साहनी, जेआईबीएस के प्रधान निदेशक ने आशा व्यक्त की कि यह आयोजन देश में उन लोगों तक पहुंचने में मदद करेगा जो मस्तिष्क संबंधी मुद्दों और न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर (एनडीडी) के बारे में अच्छी तरह से शिक्षित नहीं हैं। साहनी ने कहा, ये अनुदान भारत में हमारे लिए यहां विभिन्न हितधारकों तक पहुंचने और मस्तिष्क की विभिन्न स्थितियों के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जो प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। दूसरा लक्ष्य लोगों को न्यूरोडायवर्सिटी को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना है। जेआईबीएस ने इन दिशाओं में कई कदम उठाए हैं। --आईएएनएस आरएचए/एएनएम

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