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रेगिस्तान को बढ़ने से रोकना मानवता की सामूहिक जिम्मेदारी : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 14 जून (हि. स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोग पृथ्वी को माता के रूप में मानते हैं तथा उनकी सरकार ने भूमि के क्षरण को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि क्षरण विकासशील देशों के सामने एक बड़ी चुनौती है तथा भारत साथी विकासशील देशों को भूमि को सुपोषित करने के लिए अपने अनुभवों का लाभ पहुंचा रहा है। भारत में भूमि क्षरण को रोकने के लिए एक उत्कृष्ट अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है। मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से आयोजित मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे की समस्या पर आयोजित उच्च स्तरीय संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भूमि लोगों के जीवन और जीविकोपार्जन के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया का दो तिहाई हिस्सा भूमि क्षरण की समस्या का सामना कर रहा है। भूमि क्षरण को नहीं रोका गया तो हमारे समाज, अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि भूमि और उसके संसाधनों पर बोझ को कम किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में धरती को पवित्र और माता के समान माना जाता है। भारत ने भूमि क्षरण के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाया है इस संबंध में वर्ष 2019 में दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया था जिसमें पुरुष और महिला समानता के आधार पर परियोजनाओं को संचालित करने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत में 3 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र बढ़ाया गया है। इस प्रकार भारत के कुल क्षेत्रफल का एक चौथाई वनाच्छादित है। भूमि क्षरण को रोकने के लिए भारत ने जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उन्हें पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक 2 करोड़ 60 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्र को सामान्य स्थिति में लाए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन उपायों से जलवायु परिवर्तन रोकने के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमि को स्वस्थ रखने से उत्पादकता में बढ़ोतरी और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि कच्छ के रण में भूमि क्षरण रोकने के लिए अभिनव प्रयास किए गए हैं। इस काम में स्वदेशी प्रौद्योगिकी की मदद भी ली जा रही है। मोदी ने कहा कि मानवीय गतिविधियों के कारण भूमि को नुकसान हो रहा है। इसे रोकने तथा सामान्य स्थिति की बाली मानवता की सामूहिक जिम्मेदारी है। यह हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ धरती सौंपे। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

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