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सांसों से निकलने वाले कोविड के कण हवा में फैलने पर 200 फीट की दूरी पर भी संक्रमित कर सकते हैं: स्टडी

न्यूयॉर्क, 17 फरवरी (आईएएनएस)। कोरोनावायरस के छोटे श्वसन कण यानी सांसों से निकलने वाले पार्टिकल लंबे समय तक नम और हवा में रह सकते हैं और वैज्ञानिकों ने अब तक जितना सोचा है, उससे कहीं अधिक दूरी तक अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बलगम में घिरी बूंदें 30 मिनट तक नम रह सकती हैं और लगभग 200 फीट तक की दूरी तय कर सकती हैं। अध्ययन (स्टडी) से जुड़े लेखक लियोनार्ड पीज ने कहा, किसी संक्रमित व्यक्ति के ओर हवा के रुख या किसी संक्रमित व्यक्ति के कमरे से बाहर निकलने के कई मिनट बाद भी उस कमरे में जाने वाले लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं। पीज ने कहा, यह विचार कि आच्छादित (एन्वेलप्ट) विषाणु अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रह सकते हैं और इस प्रकार पर्याप्त दूरी पर पूरी तरह से संक्रामक हो सकते हैं, वास्तविक दुनिया के अवलोकनों (ऑब्जर्वेशन) के अनुरूप है। शायद संक्रामक श्वसन बूंदें हमारे द्वारा महसूस किए जाने की तुलना में अधिक समय तक बनी रहती हैं। निष्कर्ष इंटरनेशनल कम्युनिकेशंस इन हीट एंड मास ट्रांसफर जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। टीम ने उस बलगम का विश्लेषण किया, जो श्वसन बूंदों को कवर करता है और जिसे लोग अपने फेफड़ों से उगलते हैं। वैज्ञानिकों को पता है कि बलगम कई वायरस को आगे की दूरी तय करने की अनुमति देता है, अन्यथा इससे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक दूरी तय (वायरस की) करने में एक सक्षम स्थिति होती है। हालांकि इससे पहले परंपरागत जानकारी यह रही है कि फेफड़ों में उत्पन्न होने वाली कुछ ही माइक्रोन की बहुत छोटी, एयरोसोलिज्ड बूंदें लगभग तुरंत हवा में सूख जाती हैं और यह हानिरहित हो जाती हैं। लेकिन टीम ने पाया कि बलगम इस समीकरण को बदल देता है। टीम ने पाया कि श्वसन की बूंदों के चारों ओर बलगम शेल इवैपरेशन रेट को कम कर देता है, जिससे बूंदों के भीतर वायरल कण नम बने रहते हैं। पीज ने कहा कि बलगम की काफी हद तक अनदेखी की जाती है, जबकि यह वायरस के फैलने में अहम भूमिका अदा करता है। म्यूकस पर फोकस ने इंडोर एयर जर्नल में प्रकाशित एक अलग अध्ययन में टीम को यह पता लगाने में मदद की कि एक मल्टीरूम ऑफिस बिल्डिंग में वायरस कैसे फैलता है। अध्ययन में, केमिस्ट कैरोलिन बर्न्स ने कृत्रिम, श्वसन जैसी बूंदों का अध्ययन किया कि कैसे कण एक कमरे से दूसरे कमरे में चले गए। वैज्ञानिकों ने पाया कि सभी कमरों में श्वसन की बूंदों के स्तर को कम करने के लिए निम्न और उच्च स्तर के फिल्टरिंग प्रभावी थे। टीम ने यह भी पाया कि वेंटिलेशन बढ़ने से सोर्स रूम में कण स्तर तेजी से कम हो गया। लेकिन अन्य जुड़े हुए कमरों में कण स्तर में तुरंत वृद्धि देखी गई और 20 से 45 मिनट बाद हवा का स्तर तेज हो गया और हवा में तेज बदलाव से स्पाइक बढ़ गया। अंत में, प्रारंभिक स्पाइक के बाद, सभी कमरों में बूंदों का स्तर धीरे-धीरे तीन घंटे के बाद फिल्ट्रैशन के साथ और इसके बिना पांच घंटे बाद गिर गया। वैज्ञानिकों ने नोट किया कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों के लिए वायु विनिमय में वृद्धि कुछ स्थितियों में फायदेमंद हो सकती है, जैसे कि बड़े सम्मेलन या स्कूल की सभाएं, लेकिन सामान्य काम और स्कूल की स्थितियों में, यह वास्तव में एक इमारत के सभी कमरों में संचरण दर या वायरस फैलने की गति को बढ़ा सकता है। पीज ने आगे कहा, अगर आप एक डाउनस्ट्रीम कमरे में हैं और आप वायरस के स्रोत नहीं हैं, तो संभवत: आप अधिक वेंटिलेशन के साथ भी बेहतर स्थिति में नहीं हैं। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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