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विकासशील देशों की क्षमता निर्माण के लिए भारतीय थिंक टैंक सीईईडब्ल्यू ने यूएनएफसीसीसी के साथ साझेदारी की

नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन के मामले में विकासशील देशों की क्षमता को विकसित करने के लिए भारतीय थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) ने यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज सेक्रेटेरिएट के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है। इसके माध्यम से पेरिस समझौते के तहत क्लाइमेट चेंज कन्वेंशन एंड इंहेंस्ड ट्रांसपैरेंसी फ्रेमवर्क (ईटीएफ) के एक हिस्से के रूप में विकासशील देशों की जलवायु परिवर्तन संबंधी रिपोटिर्ंग क्षमता को बढ़ाने के लिए एक फ्रेमवर्क और उपायों को तैयार किया जाएगा। ईटीएफ प्रारूप (मोडैलिटीज), प्रक्रिया और दिशा-निर्देश (एमपीजी) इस बात पर जोर देते हैं कि विकासशील देशों को अपनी क्षमता से जुड़ी बाधाओं और जलवायु संबंधी गतिविधियों व सहायता की रिपोटिर्ंग करने के लिए अपनी जरूरतों का पता लगाना चाहिए। यह उनसे अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने, लगातार सुधार संबंधी योजनाएं बनाने और एमपीजी में रियायत के प्रावधानों का उपयोग करने का आग्रह करता है। यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज सेक्रेटेरिएट-सीईईडब्ल्यू की यह साझेदारी इस मान्यता पर आधारित है कि पेरिस समझौते को स्वीकार करने वाले विकासशील देशों की क्षमताएं और संस्थागत व्यवस्थाएं ईटीएफ प्रारूप, प्रक्रिया और दिशा-निर्देश (एमपीजी) के अनुसार अपनी जलवायु गतिविधियों और सहायता के बारे में प्रभावी ढंग से रिपोटिर्ंग करने में न केवल शुरूआती, बल्कि अलग-अलग स्तरों पर हैं। सीईईडब्ल्यू की ओर से पहले किए गए एक रिसर्च के आधार पर,इस साझेदारी के तहत एक फ्रेमवर्क और उपायों को विकसित करने की योजना है, जिसे विकासशील देश जलवायु परिवर्तन की रिपोटिर्ंग करने की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा, क्लाइमेट चेंज कन्वेंशन एंड इंहेंस्ड ट्रांसपैरेंसी फ्रेमवर्क (ईटीएफ)-एमपीजी को अपनाने के लिए विकासशील देशों को सहायता की जरूरत है। हम विकासशील देशों की मदद करने के लिए यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज सेक्रेटेरिएट के साथ काम करने को लेकर काफी आशावान हैं, ताकि भरोसा विकसित करने वाले एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में जलवायु परिवर्तन संबंधी उनकी रिपोटिर्ंग क्षमता को बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, उनकी क्षमता संबंधी जरूरतों और चुनौतियों को सामने लाते हुए उन्हें उसके अनुरूप संसाधन दिए जा सके। यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज सेक्रेटेरिएट के उप-कार्यकारी सचिव ओवैस सरमद ने कहा, हम सीईईडब्ल्यू के साथ इस साझेदारी का स्वागत करते हैं, ताकि विकासशील देशों को अपनी क्षमता से जुड़ी जरूरतों की पहचान करने के साथ-साथ अपनी द्विवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट को सुधारने और उन्हें जमा करने में सहायता संबंधी अवसरों तक पहुंचने में मदद मिल सके। इसके तहत अगले 12 महीनों के भीतर शुरूआती प्रयोग के लिए फ्रेमवर्क और उपोयों के तैयार हो जाने की उम्मीद है। --आईएएनएस निवेदिता/आरजेएस

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