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कौटिल्य के अर्थशास्त्र और गीता पर आधारित है भारतीय विदेश नीति : हर्षवर्धन श्रृंगला

चीन के अभ्युदय के कारण भारत के लिए बनी नई चुनौतियां नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.)। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत की विदेश नीति कौटिल्य के अर्थशास्त्र, महाभारत और भगवत गीता के ज्ञान और शिक्षाओं पर आधारित है। विदेश नीति में बौद्ध धर्म के मध्यम मार्ग के सिद्धांत का पालन किया जाता है जो एक संतुलित नीति है। श्रृंगला ने एक बौद्धिक संस्था विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में विदेश नीति संबंधी व्याख्यान में कहा कि हमारी कुटनीति भारतीय विचारों और ज्ञान परंपरा पर आधारित है। इसी के अनुरूप भारत अपनी विदेश नीति की रणनीतिक स्वायतत्ता सुनिश्चित करता है तथा विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाता है। इसी संदर्भ में उन्होंने अमेरिका, चीन और रूस आदि देशों के साथ भारत के संबंधों का लेखा-जोखा दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी कायम करते समय इस बात का ध्यान रखा है कि उसकी स्वायत्तता कायम रहे। उन्होंने रूस के साथ भारत के संबंधों को स्थायी रूप से मैत्रीपूर्ण बताया और कहा कि इनमें अधिक मजबूती आई है। पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम के संबंध में विदेश सचिव ने कहा कि चीन के अभ्युदय के कारण भारत के लिए नई चुनौती सामने आई है। पिछले वर्ष चीन ने लद्दाख में यथा स्थिति में एकतरफा रूप से बदलाव करने का प्रयास किया जिसके कारण सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति प्रभावित हुई। चीन ने द्विपक्षीय समझौतों और सहमति का उल्लंघन किया। जिसका प्रभाव द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर पड़ा। इस सबके बावजूद भारत पूरे मामले को वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए प्रयासरत है। टकराव वाले सीमा क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने तथा उस क्षेत्र में सेनाओं की तैनाती कम करने की प्रक्रिया पूरी होने पर वहां शांति और सामान्य स्थिति कायम हो सकती है। इसका द्विपक्षीय संबंधों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप

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