कूटनीति के जरिए विवादों को सुलझाने के पक्ष में भारत: जयशंकर
नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बैठक के दौरान कहा कि भारत हमेशा कूटनीति के जरिए विवादों को सुलझाने के पक्ष में रहा है। लावरोव गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे थे, जिसके दौरान वह कच्चे तेल की पेशकश, रुपये-रूबल भुगतान, चल रहे हथियारों के सौदे और यूक्रेन में रूस के युद्ध पर बातचीत करेंगे। हैदराबाद हाउस में अपने उद्घाटन भाषण में, जयशंकर ने कहा, हमारे द्विपक्षीय संबंध कई क्षेत्रों में बढ़ते रहे हैं और हमने अपने एजेंडे का विस्तार करके अपने सहयोग में विविधता लाई है। हमारी बैठक महामारी के अलावा एक कठिन अंतरराष्ट्रीय वातावरण में हुई है। भारत हमेशा कूटनीति के जरिए विवादों को सुलझाने के पक्ष में रहा है। उन्होंने कहा, आज की हमारी बैठक में हमें समसामयिक मुद्दों और चिंताओं पर कुछ विवरणों पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। जयशंकर ने यह भी कहा कि 2022 हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण वर्ष है, क्योंकि हम अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ को चिह्न्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा, कोविड से संबंधित कठिनाइयों के बावजूद, पिछला साल गहन द्विपक्षीय गतिविधि में से एक रहा, जिसमें टू प्लस टू उद्घाटन बैठक और निश्चित रूप से 21वां वार्षिक शिखर सम्मेलन शामिल था। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नियमित संपर्क में हैं और उन्होंने इस साल कई मौकों पर एक-दूसरे से बात की है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, हमारे द्विपक्षीय संबंध कई क्षेत्रों में बढ़ते रहे हैं और हमने अपने एजेंडे का विस्तार करके अपने सहयोग में विविधता लाई है। वहीं लावरोव ने कहा, भारत और रूस रणनीतिक साझेदारी विकसित कर रहे हैं और यह हमारी प्राथमिकता रही है। हम निश्चित रूप से विश्व व्यवस्था संतुलन में रुचि रखते हैं। हमने अपने द्विपक्षीय संदर्भ को तेज किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंधों में दोस्ती एक महत्वपूर्ण शब्द है। उन्होंने कहा, अतीत में कठिन समय के माध्यम से हमारे संबंध बहुत टिकाऊ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन ने मोदी को अपना सर्वश्रेष्ठ सम्मान भेजा है। रूसी विदेश मंत्री ने आगे कहा, इन दिनों हमारे पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन में संकट के लिए किसी भी सार्थक अंतरराष्ट्रीय मुद्दे को कम करना चाहते हैं। हम ऐसी कोई भी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं और हम सराहना करते हुए हैं कि भारत इस स्थिति को पूरी तरह से प्रभाव में ले रहा है, न कि केवल एकतरफा। जब से मॉस्को ने 24 फरवरी को कीव पर आक्रमण शुरू किया है, भारत को पश्चिम और उसके सहयोगियों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है कि वह रूस के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाए। अब तक, भारत अमेरिका में यूक्रेन से संबंधित सात प्रस्तावों पर तटस्थ रहा है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम