हिन्द और प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग बढ़ायेंगे भारत और यूरोपीय संघ
हिन्द और प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग बढ़ायेंगे भारत और यूरोपीय संघ

हिन्द और प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग बढ़ायेंगे भारत और यूरोपीय संघ

भारत-यूरोपीय संघ ने रणनीतिक सहयोग का पांच साल का रोड़मैप तैयार किया नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। भारत और यूरोपीय संघ ने हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए आपसी सैन्य सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। भारत-यूरोपीय संघ की 15वीं शिखरवार्ता बुधवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संपन्न हुई जिसमें अगले पांच वर्ष के लिए रणनीतिक साझेदारी का रोड़मैप स्वीकार किया गया। इस शिखर वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय परिषद् के अध्यक्ष चाल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला गर्ट्रूड वॉन डेर लेयेन ने भाग लिया। इन नेताओं ने कोरोना महामारी का सामना करने के लिए साझा रणनीति पर विचार करने के साथ ही आर्थिक पुनर्निमाण और अन्य विश्व मामलो पर चर्चा की । ‘भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी-वर्ष 2025 तक का रॉडमैप’ दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों पक्ष सैनिक सहयोग और संपर्क को मजबूत बनायेंगे। उन्होंने समुद्री डकैती संबंधी विचार-प्रक्रिया को समुद्री सुरक्षा वार्ता में बदलने का फैसला किया। दोनों पक्ष समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कदम उठायेंगे। साथ ही भारतीय नौसेना और यूरोपीय संघ की नौसेना के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा। भारत और यूरोपीय संघ ने फैसला किया कि दोनों पक्ष सुरक्षा संबंधित मुद्दों, संकट प्रबंधन और शांति कायम करने के प्रयासों पर केन्द्रित नियमित सुरक्षा व्यवस्था पर विचार-विमर्श करेंगे। आतंकवाद और मजहबी कट्टरता की चुनौती के मद्देनजर दोनों पक्षों इन दो वैश्विक समस्याओं से निपटने के उपायों और धन शोधन के जरिए आतंकवादियों को मिलने वाली धनराशी पर रोक लगाने के लिए सहयोग को मजबूत करेंगे। साइबर सुरक्षा के लिए भी मिलकर काम करने का फैसला किया गया। आतंकवाद और अपराधों पर काबू पाने के लिए केन्द्रीय जांच ब्यूरो और यूरोपीय पुलिस संगठन के बीच सहयोग बढ़ाने का फैसला किया गया। शिखरवार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि आज के जटिल विश्व में दुनिया की दो सबसे विशाल लोकतंत्रिक व्यवस्थाओं के बीच नियम आधारित विश्व व्यवस्था और कारगर बहुपक्षीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सहयोग पर बल दिया। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) नियम आधारित विश्व व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। कोरोना वायरस महामारी के लिए विश्व व्यापी सहयोग पर जोर देते हुए दोनों पक्षों ने जोर दिया कि महामारी के समाजिक और आर्थिक दुष्परिणामों का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। कोरोना महामारी को एक सबक मानते हुए भारत और यूरोपीय संघ ने कहा कि भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को और अधिक मजबूत बनाया जाना चाहिए। कोरोना महामारी के बारे में चीन की सीधी आलोचना नहीं करते हुए कहा गया कि ऐसी महामारी के बारे में अधिक पारदर्शिता और समय पर सूचनाओं आदान प्रदान जरुरी है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन विकसित करने के विश्वव्यापी प्रयासों का उल्लेख करते हुए संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि ऐसी वैक्सीन पूरी दुनिया की भलाई के काम आनी चाहिए। दवाईयां और चिकित्सा उपकरण सस्ते मूल्य पर सभी को उपलब्ध होने चाहिए। यूरोपीय संघ के नेताओं ने कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता (2021-22) तथा प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले संगठन जी20 में भारत की अध्यक्षता (2022) की उत्सुकता से प्रतिक्षा कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था के बारे में भारत और यूरोपीय संघ ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बहाली, आर्थिक वृद्धि और रोजगार में बढ़ोत्तरी के लिए व्यापार और निवेश को पूरी क्षमता से बढ़ाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए मंत्रीस्तर पर उच्च स्तरीय नियमित वार्ता करने का भी फैसला किया। दोनों पक्षों ने परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए आपसी सहयोग का स्वागत किया। डिजिटलीकरण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का इरादा व्यक्त करते हुए दोनों पक्षों ने कहा कि वे 5जी और कृत्रिम बुद्धि क्षमता के विकास में मिलकर काम करेंगे। दोनों पक्षों ने डाटा सुरक्षा और निजता को बनाए रखने पर भी जोर दिया। हिन्दुस्थान समाचार/सुफल/अनूप-hindusthansamachar.in

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