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भारत और तुर्कमेनिस्तान ने वित्तीय खुफिया जानकारी से संबंधित एमओयू पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत और तुर्कमेनिस्तान ने शनिवार को वित्तीय खुफिया के मुद्दे पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने ऊर्जा सुरक्षा के लिए तापी पाइपलाइन पर चर्चा की और अफगानिस्तान मुद्दे पर व्यापक क्षेत्रीय सहमति साझा की। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान यात्रा के दौरान अपने बयान में कहा, भारत की वित्तीय खुफिया इकाई और तुर्कमेनिस्तान की वित्तीय निगरानी सेवा के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के ढांचे को मजबूत करेगा। पहली बार कोई भारतीय राष्ट्रपति तुर्कमेनिस्तान की राजकीय यात्रा पर गया है। तुर्कमेनिस्तान को एक देश के तौर पर स्थापित हुए 30 साल हो चुके हैं और यह साल भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच तीन दशकों के राजनयिक संबंधों का भी प्रतीक है। यह कहते हुए कि किसी भी व्यापारिक व्यवस्था के लिए कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण है, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, इस बारे में हमने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) और अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन (ट्रांजिट) गलियारे पर किए गए अश्गाबात समझौते के महत्व को रेखांकित किया। मैंने बताया कि ईरान में भारत की ओर से निर्मित चाबहार पत्तन का उपयोग भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार में सुधार के लिए किया जा सकता है। राष्ट्रपति का बयान तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति के साथ उनकी बैठक के बाद आया, जिसमें उन्होंने राज्य और द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की। राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और दोनों देशों के बीच बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के प्रयासों को तेज करने पर सहमति व्यक्त की गई है। राष्ट्रपति ने ऊर्जा में सहयोग के बारे में चर्चा के एक अन्य प्रमुख क्षेत्र पर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग आज की हमारी चर्चाओं के प्रमुख क्षेत्रों में से एक था। मैंने तापी पाइपलाइन पर सुझाव दिया कि तकनीकी व विशेषज्ञ स्तरीय बैठकों में पाइपलाइन की सुरक्षा और प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों से संबंधित मुद्दों पर बात की जा सकती है। दोनों देशों ने आपदा प्रबंधन में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए। भारत ने डिजिटलीकरण की दिशा में अपने अभियान में तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी करने की इच्छा व्यक्त की और राष्ट्रपति ने यह भी सुझाव दिया कि अंतरिक्ष पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का एक अन्य क्षेत्र हो सकता है। अफगानिस्तान पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, अफगानिस्तान के निकटतम पड़ोसियों के रूप में, हमारा देश स्वाभाविक रूप से उस राष्ट्र के विकास और उनके बाहरी प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। हम अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर व्यापक क्षेत्रीय सहमति साझा करते हैं। इसमें सही मायने में प्रतिनिधि और समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद व मादक पदार्थों की तस्करी से निपटना, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की केंद्रीय भूमिका, अफगानिस्तान के लोगों के लिए तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना और महिलाओं, बच्चों, अन्य राष्ट्रीय जातीय समूहों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण शामिल है। राष्ट्रपति कोविंद ने भारत-मध्य एशिया सांस्कृतिक सहयोग के दायरे में एक युवा प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजने के लिए तुर्कमेनिस्तान की तत्परता का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा, हम भारत-मध्य एशिया सांस्कृतिक सहयोग की सीमा में एक युवा प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजने के लिए तुर्कमेनिस्तान की तत्परता का स्वागत करते हैं। युवा कार्यक्रम पर आज किया गया समझौता ज्ञापन हमारे युवाओं के बीच आदान-प्रदान को और अधिक तेज करेगा। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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