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अबू सलेम मामले में केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अन्य भगोड़ों के प्रत्यर्पण में समस्या पैदा हो सकती है

नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें कोर्ट ने पूछा है कि क्या तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी ने पुर्तगाल के अधिकारियों से गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए उसको 25 साल से अधिक समय तक कैद में नहीं रखने का आश्वासन दिया था या नहीं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा। पीठ ने जोर देकर कहा कि पुर्तगाल के अधिकारियों को दिए गए आश्वासन का पालन नहीं करने के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं और यह अन्य देशों से भगोड़ों के प्रत्यर्पण की मांग करते समय समस्या पैदा कर सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले में सीबीआई के जवाब से खुश नहीं है। सीबीआई ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया है कि एक भारतीय अदालत 2002 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री द्वारा पुर्तगाल की अदालतों को दिए गए आश्वासन से बाध्य नहीं है कि गैंगस्टर अबू सलेम को उसके प्रत्यर्पण के बाद 25 साल से अधिक की कैद नहीं होगी। सलेम का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि पुर्तगाल में पारस्परिकता के सिद्धांत के अनुसार अदालतें 25 साल से अधिक की सजा नहीं दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि पारस्परिकता के सिद्धांत के आधार पर, भारत सरकार ने पुर्तगाल की अदालतों को एक गंभीर संप्रभु आश्वासन दिया था कि अगर सलेम को भारत वापस प्रत्यर्पित करने की अनुमति दी जाती है, तो उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने केंद्र से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। सलेम को 2005 में भारत लाया गया था और 1993 के मुंबई विस्फोटों में उसकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। --आईएएनएस आरएचए/आरजेएस

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