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छत्तीसगढ़ में नौनिहालों की सुधरती सेहत

रायपुर, 6 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में नौनिहालों की सेहत दुरुस्त करने के प्रयास जारी है। यहां चलाए जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। यहां के कुपोषित बच्चों की तादाद में लगभग दस प्रतिषत की गिरावट दर्ज की गई है। बताया गया है कि प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2016 से 2022 तक आयोजित वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार कुपोषण की दर में लगातार कमी आई है। इसके चलते बच्चों कुपोषण की दर 30.13 प्रतिशत से घटकर अब मात्र 19.86 प्रतिशत रह गई है। राज्य में कुपोषण दर में लगभग 10.27 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है जो एक बड़ी उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ में दो अक्टूबर 2019 से शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के चलते एक लाख 70 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं। उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वजन त्यौहार के द्वारा अवधि विशेष में सभी बच्चों का वजन लिया जाकर पोषण स्तर ज्ञात किया जाता है। विभाग द्वारा जुलाई 2021 में लगभग 22 लाख बच्चों का 10 दिन के भीतर वजन लिया गया और कुपोषण के परिणाम निकाले गये। राज्य शासन द्वारा वजन त्यौहार के आंकड़ों का सत्यापन बाह्य एजेंसियों द्वारा भी कराए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-पांच के आंकड़ों के अनुसार भी छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर में कमी आई है। कुपोषण का राष्ट्रीय औसत 32.1 प्रतिशत है, जबकि छत्तीसगढ़ में कुपोषण 31.3 प्रतिशत है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में कुपोषण राष्ट्रीय औसत से भी कम है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-चार वर्ष 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर 37.7 प्रतिशत थी, जबकि उस समय राष्ट्रीय औसत दर 35.8 प्रतिशत थी। एनएफएचएस-पांच के सर्वे रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ राज्य में कुपोषण की दर में 6.4 प्रतिशत गिरावट आई है और यह दर मात्र 31.3 रह गई है। राष्ट्रीय सर्वे एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ के रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में बच्चों के पोषण स्तर पर ध्यान देने के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, जिसके चलते राज्य में कुपोषण दर 30.13 प्रतिशत से घटकर अब मात्र 19.86 प्रतिशत रह गई है। ज्ञातव्य है कि एनएफएचएस-पांच के अनुसार छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण का स्तर गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, झारखण्ड, बिहार आदि राज्यों से कम है। --आईएएनएस एसएनपी/आरजेएस

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