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आईआईटी प्रोफेसर ने टर्बाइन ब्लेड और वैमानिकी से जुड़े पुर्जों की मरम्मत के लिए लेजर प्रणाली विकसित की

नई दिल्ली, 19 फरवरी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के वैज्ञानिक प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह ने मोल्ड, टर्बाइन ब्लेड और विमान के अन्य पुर्जों की मरम्मत के लिए पूर्णतया स्वचालित तकनीक युक्त लेजर प्रणाली विकसित की है,जिसमें मानवीय हस्तक्षेप बहुत ही कम है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इससे मरम्मत कार्यों को काफी तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी और इससे आत्मनिर्भर भारत के लिए बेहतर माहौल विकसित करने में मदद मिलेगी। इस समय जितनी भी मौजूदा तकनीक हैं, वे वेल्डिंग और थर्मल स्प्रे पर आधारित हैं,तथा कुछ समय के लिए ही कारगर रहती हैं। इनकी एक कमी यह भी है कि इन्हें खुद ही किया जाता है और इसकी गुणवत्ता मरम्मत करने वाले के कौशल तथा अनुभव पर निर्भर करती है। आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर रमेश सिंह मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में हैं और उन्होंने ऐसी नवीन तकनीक विकसित की है जो उत्कृष्ट प्रक्रिया नियंत्रण के लिए लेजर का इस्तेमाल करती है और पूर्ण स्वचलित होने के कारण इसमें मानवीय हस्तक्षेप बहुत ही कम रहता है। यह रोबोटिक प्रणाली सभी अहम गतिविधियों के लिए डिजाइन की गई है। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एडवांस्ड मैन्युफैकचरिंग टेक्न नालॉजी कार्यक्रम के सहयोग से विकसित किया गया है। इस तकनीक का परीक्षण और प्रामाणीकरण भी हो चुका है। इसमें एक लेजर स्कैनर लगा है जो खराब हिस्से की अपने आप पहचान कर लेगा और इस हिस्से में भरी जाने वाली सामग्री को लेजर निर्धारित किया जाएगा। इसके बाद इस हिस्से की फिनिशिंग तथा स्वत: निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। यह प्रोजेक्ट अभी पूरा होने के सातवें चरण में है। उन्होंने बताया विकसित तकनीक बहुत प्रभावशाली है और विनिर्माण उद्योग में मरम्मत कार्यों के लिए बदलावकारी साबित होगी। इस तकनीक के माध्यम से जिन घटकों को पुनर्निर्मित किया जा सकता है, वे बहुत अधिक मूल्य वाले हैं। इस तकनीक के माध्यम से सटीकता का स्तर संभव है। यह अपने आप में अभूतपूर्व है और वर्तमान अत्याधुनिक विधियों से बहुत आगे है। (यह आलेख इंडियानैरेटिव के साथ की गई व्यवस्था के तहत लिया गया है।) इंडियानैरेटिव जेके

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