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अतिक्रमण हटाना है तो गोल्फ लिंक और सैनिक फार्म जायें: दुष्यंत दवे

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जहांगीर पुरी में अतिक्रमण हटाने के अभियान से यह सवाल पैदा होता है कि क्या ये अभियान सिर्फ गरीबों के खिलाफ ही होते हैं और अगर प्रशासन इसके प्रति इतना ही प्रतिबद्ध है तो उसे पहले सैनिक फार्म और गोल्फ लिंक जैसे इलाकों में जाना चाहिये। जमात उलेमा ए हिंद की ओर से मामले की पैरवी कर रहे दुष्यंत दवे ने कहा कि जहांगीर पुरी में अतिक्रमण हटाने का अभियान संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के सवाल पैदा करता है। उन्होंने कहा कि इन अभियानों के जरिये समाज के एक वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है। इन अभियानों में सिर्फ गरीबों की संपत्ति ढहायी जा रही है। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की खंडपीठ ने दवे से पूछा कि इस मामले में राष्ट्रीय महत्व क्या है। यह एक इलाके के बारे में है। दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बुलडोजर को राज्य सरकारें एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं और समाज के एक खास तबके को इसका निशाना बनाया जा रहा है। दवे ने कहा कि एनडीएमसी को पता था कि सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस पर बहस होगी इसी कारण उसने नौ बजे से ही ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने दलील दी कि आखिर भारतीय जनता पार्टी का कोई नेता एनडीएमसी को ढहाने के बारे में पत्र कैसे लिख सकता है और उसी के आधार पर वे अतिक्रमण हटाने भी लगते हैं। दवे ने कहा कि दिल्ली नगरनिगम अधिनियम में नोटिस का भी प्रावधान है और अपील का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा, अगर प्रशासन को अतिक्रमण हटाना ही है तो दक्षिण दिल्ली जायें, सैनिक फार्म जायें, गोल्फ लिंक आयें, जहां मैं रहता हूं। हर दूसरा घर कहीं न कहीं अतिक्रमण है लेकिन आप उसे छुयेंगे तक नहीं। उन्होंने कहा कि जिन घरों और दुकानों को ढाह दिया गया वे तीस साल से अधिक पुराने थे। यहां लोकतंत्र है और इस तरह की कार्रवाई की अनुमति कैसे दी जा सकती है। दवे ने कहा कि पुलिस और प्रशासन संविधान से बंधे हैं न कि भाजपा नेता के पत्र से। यह दुखद स्थिति है। जमात ए उलेमा हिंद की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अन्य वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पूरे देश में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है लेकिन मुस्लिमों के मुद्दे को अतिक्रमण से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि रामनवमी को हुई घटना के बाद ही अतिक्रमण हटाने का अभियान चला। सिब्बल ने कहा कि घटनायें हुई, तो घर को बुलडोजर से ढाह दिया गया, किसी पर हत्या का आरोप लगा तो उसका घर ढाह दिया गया और एक पूरे समुदाय को बंद करके उनके घर दिल्ली में ढाह दिये गये। तो क्या घटनायें भय देने के लिये हो रही हैं? इस पर जस्टिस राव ने कहा कि तो वह किस राहत का दावा कर रहे हैं। कपिल सिब्बल ने तब कहा कि अतिक्रमण के मामले एक समुदाय तक सीमित हैं। अगला आदेश आने तक ढहाने की कार्रवाई रोकी जाये। इस पर खंडपीठ ने कहा कि वे देश में ढहाने की कार्रवाई पर रोक नहीं लगायेंगे। इस पर सिब्बल ने कहा कि वह जहांगीरपुरी की बात कर रहे हैं। जहांगीरपुरी में जिस जूस कार्नर के मालिक की दुकान ढाह दी गयी है, उसके वकील संजय हेगड़े ने कहा कि उनके मुवक्किल के पास सभी जरूरी दस्तावेज थे लेकिन फिर भी बुलडोजर से उसकी दुकान ढाह दी गयी। उन्होंने मुआवजे की मांग की है। माकपा नेता बृंदा करात के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद बुलडोजर चलता रहा। सभी दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक स्थिति यथावत रखने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में ये हलफनामा दें कि क्या अतिक्रमण हटाने के अभियान से पहले उन्हें नोटिस जारी किया गया था। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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