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निजी स्कूलों की सर्विस बंद करने के डीटीसी के फैसले के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को राष्ट्रीय राजधानी के निजी स्कूलों से बस सेवा वापस लेने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति नवीन चावला के साथ कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ डीटीसी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। डीटीसी दिल्ली में स्कूलों को वर्षों से अपनी सेवाएं प्रदान करती रही है और अब इसकी ओर से यह फैसला लिए जाने के बाद दायर याचिका में कहा गया है कि स्कूलों की सर्विस या सेवा को बंद करने का कोई उचित कारण नहीं है। सुनवाई के दौरान पीठ ने डीटीसी के फैसले से छात्रों को हो रही कठिनाइयों का संज्ञान लिया। डीटीसी को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए पीठ ने मामले की सुनवाई तीन अगस्त के लिए टाल दी। अधिवक्ता रॉबिन राजू, दीपा जोसेफ और ब्लेसन मैथ्यूज के माध्यम से दायर जनहित याचिका की प्रकृति वाली दीवानी रिट याचिका ने उन मीडिया रिपोटरें पर प्रकाश डाला, जिनमें बताया गया है कि माता-पिता ने स्कूलों में डीटीसी बस सेवाओं को बंद करने के निर्णय से संबंधित अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक संघ का गठन किया है। एक बाल कल्याण संगठन के संस्थापक होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता बाबा अलेक्जेंडर ने अपनी दलील में कहा है कि वह उत्तरदाताओं के निर्णय के कारण बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में बहुत चिंतित हैं, जिसके बारे में पिछले महीने कई स्कूलों द्वारा माता-पिता को सूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के ²ष्टिकोण से डीटीसी का निर्णय उनके माता-पिता की चिंता का कारण बन गया है। इसके अलावा, उक्त निर्णय से माता-पिता की वित्तीय कठिनाई भी बढ़ेगी, क्योंकि उन्हें कोविड-19 जैसे इस अनिश्चित समय के दौरान परिवहन शुल्क के नाम पर अधिक भुगतान करना होगा। याचिकाकर्ता ने कहा कि डीटीसी के स्कूलों से बस सेवाएं वापस लेने के फैसले ने लोगों को निजी वाहनों को चुनने के लिए मजबूर किया है। इससे शहर की सड़कों पर जाम की समस्या बढ़ेगी। पहले से ही ऐसी खबरें हैं कि मार्च 2022 में अनलॉक चरण शुरू होने के बाद से, दिल्ली में यातायात की स्थिति कोविड से पहले की तुलना में और भी खराब हो गई है। याचिका में कहा गया है कि स्कूलों से बस सेवाएं वापस लेने के फैसले से वाहनों का प्रदूषण बढ़ेगा और हवा की गुणवत्ता और खराब होगी। इसके अलावा, याचिका में अनुच्छेद 21 के संदर्भ का भी हवाला दिया गया है, जो जीवन के अधिकार को सुरक्षित करता है और जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्वच्छ हवा के अधिकार को शामिल किया है। इसमें दिल्ली के स्कूलों में बस सेवाओं को वापस लेने के डीटीसी के फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करने के लिए उत्तरदाताओं को निर्देश देने की प्रार्थना की गई है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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