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खुशहाल परिवार में कोहराम मचा गया बेरहम कोरोना

-बेटी ने अपने भाई की मौत के बाद पिता की चिता को दी मुखाग्नि शाजापुर, 04 मई (हि.स.)। कोरोना के कोहराम ने कई परिवारों को जिदंगीभर के लिए गम के माहौल में डूबो दिया है। शहर में ऐसे कई परिवार हैं, जो कोरोना की मार से इतने टूट चुके हैं कि उन्हे संभलने में अब लंबा वक्त लगेगा। कुछ ऐसा ही हुआ है सारंगपुर निवासी 25 वर्षीय की तन्वी सक्सेना के साथ। दरअसल तन्वी 28 अप्रैल को अपने 61 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक पिता अवधेश सक्सेना, मां करुणा सक्सेना और 32 वर्षीय भाई शुभम सक्सेना के कोरोना से संक्रमित होने पर उन्हे शाजापुर जिला अस्पताल उपचार के लिए लेकर पहुंची। अकेले के दम पर अपने पिता, माता और भाई का शाजापुर जिला अस्पताल में तन्वी सही ढंग से इलाज करा पाती उसके पहले ही भाई शुभम ने 29 अप्रैल की सुबह दम तोड़ दिया। माता-पिता को अस्पताल छोड़ तन्वी भाई के शव को लेकर शहर के शांति वन पहुंची मुखाग्नि देकर अपने भाई का अंतिम संस्कार किया। भाई की अस्थियां भी तन्वी ने शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से इकठ्ठा करवाई। विपरित हालात और कम उम्र होने के बावजूद तन्वी अपने माता-पिता को दिलासा देती रही और उपचार कराती रही। बीते चार दिनों में मां करुणा देवी तो कोरोना से ठीक हो गई, लेकिन पिता कोरोना का शिकार हो गए और 3 मई की सुबह पिता अवधेश सक्सेना ने शाजापुर के जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली। इकलौते भाई के बिछड़ने के बाद तन्वी के लिए पिता की मौत किसी कहर से कम नही रही, परंतु हालात के आगे बेबस तन्वी अपनी मां को दिलासा देते हुए 5 दिनों के अंदर दूसरी बार शांति वन पहुंची और इस बार अपने पिता को चचेरी बहन चेतना सक्सेना के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। इस दौरान मनीष सोनी और धर्मेंद्र शर्मा ने तन्वी की लकड़ी-कंडा इकट्ठा करने में मदद की। हिन्दुस्थान समाचार/मंगल नाहर

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