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हाटी समुदाय को जल्द मिलेगा जनजाति का दर्जा : जयराम ठाकुर

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की जयराम ठाकुर सरकार के खाते में हाटी समुदाय को लेकर एक बड़ी कामयाबी दर्ज होने जा रही है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य की कई विधानसभा सीटों पर इसका सीधा फायदा हो सकता है। मंगलवार को राजधानी दिल्ली स्थित हिमाचल भवन में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दावा किया कि राज्य के सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में निवास करने वाले हाटी समुदाय के लोगों को जल्द ही जनजाति समुदाय का दर्जा मिल सकता है। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के प्रयास से दशकों पुरानी इस मांग के संबंध में आने वाली सारी दिक्कतें दूर कर दी गई हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से इस मसले पर सोमवार को हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए दावा किया कि इस मामले में तमाम जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर जल्द ही हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दे दिया जाएगा। जयराम ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश का गिरिपार क्षेत्र और उत्तराखंड का जौनसार बावर आजादी से पहले सिरमौर रियासत का हिस्सा हुआ करता था। आजादी के बाद उत्तराखंड के जौनसार बावर को 1967 में जनजाति का दर्जा मिल चुका है लेकिन हिमाचल प्रदेश का हाटी समुदाय लगातार इसके लिए संघर्ष कर रहा है। मुख्यमंत्री के मुताबिक , वर्ष 2011 की जनसंख्या के मुताबिक राज्य में हाटी समुदाय के लोगों की आबादी 2.51 लाख के लगभग थी जो वर्तमान में तीन लाख हो गई है। इस समुदाय को जनजाति का दर्जा मिलने का बड़ा असर राज्य के चार विधानसभा क्षेत्रों - शिलाई, पांवटा, साहिब, रेणुका और पच्छाद पर पड़ना तय माना जा रहा है। इसके अलावा राज्य की राजधानी शिमला सहित पांच अन्य विधानसभा सीटों - नाहन , सोलन , शिमला, शिमला ग्रामीण और चौपाल में भी हाटी समुदाय चुनावी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाता है। चुनावी वर्ष में इस फैसले को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने पहली बार 2009 में हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने का मुद्दा अपने घोषणापत्र में उठाया था। उस समय से लेकर आज तक भाजपा लगातार इस मुद्दे को उठाती रही है। उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की थी और सत्ता में आने के बाद उन्होंने सरकार के स्तर पर लगातार प्रयास किए, तमाम बाधाओं और तकनीकी दिक्कतों को दूर किया और अब यह दशकों पुरानी मांग जल्द ही पूरी होने जा रही है। --आईएएनएस एसटीपी/एसकेपी

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