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हमदर्द फाउंडेशन ने लॉकडाउन में सिलाई-कढ़ाई सिखा कर महिलओं को बनाया आत्मनिर्भर

- बेरोजगार हुए परिवारों की महिलाओं को घर में ही रोजी-रोटी मुहैया कराने की पहल नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद लगने वाले लॉकडाउन की वजह से हमारे देश का मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार काफी विकट परिस्थितियों में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। महामारी को कंट्रोल करने के लिए सब कुछ बंद होने की वजह से बहुत सारे परिवारों को 2 जून की रोटी का जुगाड़ करने में भी दिक्कतें पेश आ रही हैं। हालांकि सरकार के साथ-साथ कई स्वयंसेवी संगठन ऐसे तमाम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें भुखमरी जैसे हालात से बचाने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। देश की सबसे पुरानी यूनानी व देसी दवा बनाने वाली संस्था हमदर्द की तरफ से भी लोगों की भरपूर मदद की जा रही है। हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की तरफ से बेरोजगार होने वाले परिवारों की महिलाओं को तीन हफ्ते का सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने की कोशिश की गई है ताकि इन महिलाओं के जरिए घरों में रहकर ही सिलाई-कढ़ाई करके अपने परिवार के लिए कम से कम राशन आदि का इंतजाम कर सकें। हमदर्द नेशनल फाउंडेशन ने अपने ही एक और संगठन ‘बिजनेस एंड एंप्लॉयमेंट ब्यूरो’ के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान 200 महिलाओं को दिल्ली के तीन स्थानों पुरानी दिल्ली के लाल कुआं, कनॉट प्लेस और गोविंदपुरी में सेंटर बनाकर प्रशिक्षित ट्रेनर्स के जरिए महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिलाया है। तीन हफ्तों तक महिलाओं को मास्क और रुमाल के साथ-साथ बच्चों के कपड़े बनाने और स्कूल यूनिफॉर्म तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया है। फाउंडेशन की तरफ से सभी महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के साथ-साथ सिलाई मशीन भी उन्हें मुफ्त उपलब्ध कराई गई है। फाउंडेशन की तरफ से ऐसी तमाम कंपनियों और संस्थाओं से भी संपर्क साधा जा रहा है जो इन महिलाओं के जरिए तैयार की गई सामग्री को खरीद कर बाजार में उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। फाउंडेशन का मानना है कि अगर ऐसा संभव हो जाता है तो इन महिलाओं को घरों में ही रोजगार मिल जाएगा और उन्हें अपना तैयार माल बेचने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। उनका माल उनके घरों से ही उठाकर बाजार तक पहुंचा दिया जाएगा। हमदर्द के संस्थापक स्वर्गीय हकीम अब्दुल हमीद के जरिए युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार और स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए बिजनेस एंड एंप्लॉयमेंट ब्यूरो की स्थापना की गई थी। बीईबी के तहत हर साल सैकड़ों बच्चों को गर्मियों की छुट्टी में अल्पावधि का रोजगारपरक कोर्स करा कर उन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने की योजना इसी सिलसिले की एक कड़ी है। हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की स्थापना 1964 में की गई थी और तभी से इस फाउंडेशन के जरिए हमदर्द अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा लोगों की भलाई के लिए खर्च करता रहा है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में हमदर्द ने गरीब और बेसहारा लोगों तक राशन किट पहुंचाने में फाउंडेशन के जरिए भरपूर काम किया है। इस सम्बंध में जानकारी देते हुए फाउंडेशन के ओएसडी शौकत मुफ्ती ने बताया कि हमदर्द नेशनल फाउंडेशन के जरिए लोगों की भलाई के लिए हमेशा से काम किया जाता रहा है लेकिन लॉकडाउन के दौरान फाउंडेशन ने ऐसे तमाम लोगों की खुलकर मदद की है जो कि कारोबार इत्यादि नहीं होने की वजह से परेशान थे। उन्होंने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने की योजना तैयार की गई है और इसके तहत फिलहाल 200 महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सिलाई मशीन उपलब्ध कराकर रोजगार से जोड़ने में कामयाबी मिली है। उनका कहना है कि इन महिलाओं के जरिए तैयार होने वाले सभी सामानों को बाजार तक उपलब्ध कराने के लिए हम कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। उनका कहना है कि आगे भी इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रहेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके और उन्हें आत्मनिर्भर बना कर अपने परिवार का पालन पोषण करने के काबिल बनाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार/एम. ओवैस

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