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Gyan Ganga: हनुमानजी सीधे सुग्रीव के मनोरंजन कक्ष में क्यों पहुँच गये थे ?
जब सींह चले और निरीह वनचरों के हृदय कंपित न हों, भला ऐसे कैसे हो सकता है। श्रीलक्ष्मण जी, तो साक्षात मृत्यु के स्वामी हैं, फिर उनकी पदचाप, भला कैसे किसी की निंद्रा को अनवरत जारी रहने की अनुमति दे सकती है? किष्किंधा की ओर बहने वाली पवन भी मानो क्लिक »-www.prabhasakshi.com