सुग्रीव ने श्री हनुमान जी के श्रीमुख से जब यह हृदय घातक समाचार सुना कि श्रीलक्ष्मण जी तो धनुष बाण लिए, अतिअंत उग्र भाव से, किष्किंधा नगरी में प्रवेश कर चुके हैं, तो सुग्रीव ने देखा कि श्री हनुमान जी के सिवाय अब कोई ऐसा प्रतीत नहीं होता, जो इस क्लिक »-www.prabhasakshi.com