देश
Gyan Ganga: अमृत पान के समय कौन-सा राक्षस देवताओं की योजना को समझ गया था
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम परम पवित्र श्रीमदभागवत महापुराण के अंतर्गत समुद्र मंथन की कथा का श्रवण कर रहे हैं। पिछले अंक में हम सबने पढ़ा कि जैसे ही समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, राक्षस एक दूसरे पर टूट क्लिक »-www.prabhasakshi.com