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Gyan Ganga: प्रभु कहते हैं- जो मेरी शरण में आ गया उसका उद्धार होना ही है
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम श्रीमदभागवत महापुराण के अंतर्गत आठवें स्कन्द की कथा श्रवण कर रहे हैं। पिछले अंक में हम सबने गजेन्द्र और ग्राह की कथा सुनी। गजेन्द्र को आत्म-रक्षा हेतु जब कोई दूसरा उपाय नहीं सुझा तब उसने गोविंद क्लिक »-www.prabhasakshi.com