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Gyan Ganga: पुंसवन व्रत के महत्व का वर्णन शुकदेव जी ने इस प्रकार बताया

सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम सब भागवत-कथा सरोवर में गोता लगा रहे हैं। पिछले अंक में हम सबने नर्क की भयावह घोर यातना का वृतांत तथा अजामिल की कथा सुनी और यह संदेश प्राप्त किया कि जिसने “हरि” ये दो अक्षर क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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